मंत्री तो कोई महामंत्री के सपने संजोता हुआ रैली के आगे-पीछे दौड़ता नजर आया, कॉपी हुआ सूर्या वाला स्टाइल, सरकारी फरमानों पर आम जनता ने जमकर चुटकी ली, कारखाने वाले युवा नेता मुँह लटकाते हुए आज के स्वागत सत्कार से अंदरूनी मन से कौसों दूर रहे
रतलाम/इंडियामिक्स बुधवार की सुबह सत्ताधारी फूलछाप पार्टी के नए नवेले युवा नेता के तथाकथित प्रथम नगर आगमन की तैयारियां नाश्ते के साथ शुरू हुई। सुबह-सुबह फर्नीचर वाले नए नवेले युवा नेताजी के आयोजन स्थल पर बुलाई गई गाडियो को एक लाइन में लगाने की माथापच्ची का कार्यक्रम शुरू हुआ।
गाड़ियों के एक लाइन में लग जाने के बाद बारी थी खुली जीप में नेताजी के विराजमान होने की। नेताजी के विराजित होने के बाद कुछ दिनों से सोशल मीडिया व खम्बो पर लगे बैनर पर दिख रहे विभिन्न मित्र मण्डली के नेता भी प्रत्यक्ष रैली की अगुवाई करते नज़र आये। ये मित्र मण्डली के नेता नए नवेले फर्नीचर वाले नेताजी से उनकी कार्यकारिणी में जगह पाने की जदोजहद वाले थे। कोई मोर्चे में मंत्री तो कोई महामंत्री के सपने संजोता हुआ रैली के आगे-पीछे दौड़ता नजर आया।
फर्नीचर वाले युवा नेताजी ने स्वघोषित मंचो से सभी का अभिवादन स्वीकार किया। ऐसे तामझाम को देख हर कोई गफ़लत में था ओर यही सोच रहा था कि नेताजी को क्या कोई विधायकी मिली है या सीधे मंत्री पद का कोई दर्जा ?
इन सब से परे कभी प्रबल दावेदार माने जाने वाले हमारे कारखाने वाले युवा नेता मुँह लटकाते हुए आज के स्वागत सत्कार से अंदरूनी मन से कौसों दूर रहे। युवा मोर्चा की दौड़ में दो बार शिकस्त पाने के बाद अब आगे इनकी राजनीति कौन से मौड़ पर जाएगी यह वह खुद जाने। ख़ेर आज की इस रैली का मोटिव किसी को समझ नहीं आया और विशाल कही जाने वाली थकी हारी इस रैली का भोजन भंडारे के साथ समापन किया गया। आखिर में पूरी रैली को दो बत्ती पर करंट की चपेट में आये युवक ने हाइजैक कर लिया। इस युवक का वीडियो युवा नेताजी से भी ज्यादा जमकर वायरल हुआ। मगर यह महज अफवाह निकली, असल मे उस युवक को मिर्गी की बीमारी है।
कॉपी हुआ सूर्या वाला स्टाइल :
जन जन के लाडले नेता जी ने पूरे जोर शोर के साथ अपने आप को धार/बदनावर वाले कद्दावर युवा नेता की तरह साबित करने में जान फूंक दी। जैसा काफिला धार में था वैसा यहाँ भी जुटाने की जी तोड़ कोशिश की गई। नेताजी ने स्टाइल व मैनेजमेंट भी कॉपी करते हुए मन्दिर धोके, पूजन किया, हाथ हिलाया, पैदल भी चले, फोटोग्राफर किया, कार चालको को कतार में चलाया, डीजे की अधिकाधिक गाड़ियां बुलाई, मित्र मंडलियों के साथ फ्लैक्स बैनर भी लगवाए। इन सब पर जमकर धन खर्चा करते हुए नेताजी ने अपने पक्ष में पूरा माहौल बनाने की कोशिश की। इतनी मेहनत के बावजूद भी कहीं ना कहीं भीड़ अपेक्षाकृत कम आँकी गयी। रैली में अनुपयोगी रूप से दिखावे के चार पहिया वाहनों का काफिला बहुत पीछे तक था जो कि आमजनता के लिए परेशानी का सबब बना रहा तथा बुलाए गये बहुत से युवाओं ने इतने बड़े रूट को देखते हुए रैली से आधे रास्ते में ही कन्नी काट ली।
वहीं आज की रैली कहीं ना कहीं भय्याजी के लिए भी राजनीतिक समीकरणों से सोचने वाली होगी की नए नवेले युवा नेता का मोर्चे के जिलाध्यक्ष बनते ही इतना तामझाम दिखाना आख़िर किस ओर संकेत करता है? आज की रैली में सेठ का नहीं होना भी कुछ को नागवार गुजरा ओर इस पर भी कई कयास लगाए गए।
नगर निगम की फ्लेक्स हटाने की कार्यवाही, धारा 144, कोरोना गाइडलाइन आदि ऐसे सरकारी फरमानों पर आम जनता ने जमकर चुटकी भी ली।