डॉ. रीना रवि मालपानी द्वारा लिखित लेख जिसका शीर्षक “श्रावण के सोमवार में निम्न स्त्रोतों से करें महादेव का ध्यान” है
इंडियामिक्स न्यूज़ श्रावण मास में शिव की भक्ति अपार फलदायी होती है। शास्त्रों में वर्णित कुछ स्त्रोतों के श्रवण एवं पठन से भक्त सहज ही शिव का प्रिय बन सकता है। यह स्त्रोत साधक के जीवन से क्लेशों को दूर कर सुखद जीवन प्रदान करने में सक्षम है। श्रावण मास शिव को सर्वाधिक प्रिय है और सोमवार का दिन शिव का ही दिन होता है। तो आइये श्रावण के सोमवार के दिन उमानाथ के निम्नोक्त वर्णित कुछ सर्वाधिक प्रभावी एवं मोक्षदायी स्त्रोतों से देवो के देव महादेव की आराधना करें:- शिवपंचाक्षर स्त्रोत:- शास्त्रों में कल्याण स्वरूप देवो के देव महादेव की आराधना एवं वंदन के अनेक स्त्रोतों में से एक है शिवपंचाक्षर स्त्रोत।
शिव के प्रिय मंत्र “नमः शिवाय” पर इस स्त्रोत की पंक्तियाँ आधारित है। इस स्त्रोत का पाठ करने से साधक सहज ही शिव के पुण्य लोक को प्राप्त कर सकता है। पंचाक्षर मंत्र जगद्गुरू त्रिलोकीनाथ का स्वतः सिद्ध मंत्र है। इस स्त्रोत के वाचन से शिव की असीम कृपा को भक्त सहज ही प्राप्त कर सकता है। अविनाशी महेश तो परम दयालु एवं भक्तो के कष्टों का निवारण करने वाले है। इस स्त्रोत की रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी जोकि महान शिवभक्त थे। शिवपंचाक्षर स्त्रोत श्रावण मास में शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है। इस स्त्रोत की महिमा अपरम्पार है।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै “न” काराय नमः शिवाय॥
शिवाष्टक:- आदि अनंत और अविनाशी कैलाशपति की प्रशंसा एवं महत्व को लेकर अनेक स्त्रोतों की रचना की गई है, इनमें शिवाष्टक का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। श्रावण के पवित्र मास में इसका श्रवण एवं सस्वर वाचन अत्यंत लाभकारी एवं बाधाओं को दूर करने वाला होता है। इसकी रचना भी आदि गुरु शंकरचार्य ने की थी। शिव का यह स्त्रोत सरल एवं अचूक है। शिवाष्टक मुख्यतः आठ पदों में वर्णित है। शिव की इस स्तुति से साधक इच्छित मनोकामना को पूर्ण कर सकता है एवं यह स्त्रोत समस्त बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ 1 ॥
लिंगाष्टकम:- लिंगाष्टकम स्त्रोत भी आशुतोष को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इसमें त्रिपुरारी के लिङ्ग स्वरूप की अद्वितीय महिमा का वर्णन है। स्वयं देवता एवं ऋषि मुनि भी उमानाथ के लिङ्ग स्वरूप की आराधना करते है एवं इच्छित वरदान को प्राप्त करते है। समस्त ज्योतिर्लिंगों में शिव के लिङ्ग स्वरूप की ही पूजा आराधना होती है। भोलेनाथ का यह स्त्रोत अद्भुत एवं मनोकामनाओं की पूर्ति करना वाला है। इस स्त्रोत के मात्र श्रवण से ही विपदाओं को जीवन से दूर किया जा सकता है। साधक के लिए शिव शंभू की कृपा प्राप्त करने का यह एक सरल उपाय है। इस शिव स्तुति में आठ श्लोक है।
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम् निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगम् तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥
साधक अगर पूर्ण भक्ति भाव से यदि शिव के इन स्त्रोतों का ध्यान एवं वाचन करता है तो वह सहज ही मनचाहा वरदान शम्भूनाथ से प्राप्त कर सकता है। श्रावण के सोमवार में इन स्त्रोतों का वाचन कई गुना अधिक फलदायी होता है।
डॉ. रीना रवि मालपानी