माडल साइंस कालेज में दबे हैं बहुत से घोटालों के राज, सामग्री खरीदी में जमकर किया खेल, राजनैतिक सपोर्ट
रीवा / इंडियामिक्स न्यूज़ जिले के लीडिंग शासकीय माडल साइंस कालेज में घोटालों की एक से बढ़कर एक कहानी फाइलो में छिपी है। यहां पर सामग्री खरीदी को लेकर मास्टरमाइंड तरीके से प्रबंधन ने खेल किया है। शासकीय माडल साइंस कालेज में तत्कालीन प्राचार्य डॉ आरपी मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के उपरांत डॉ पंकज श्रीवास्तव को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया। महत्वपूर्ण कुर्सी पर बैठने के साथ ही शासकीय माडल साइंस कालेज में सुनियोजित खेल की धमाकेदार शुरुआत कर दी गई।
खेलकूद सामग्री को लेकर कालेज में शातिराना अंदाज में खेल किया गया है। यहां पर छात्र छात्राओं से स्पोर्ट्स के नाम पर शुल्क जरुर वसूल की जाती थी लेकिन बेहतर क्वालिटी वाला सामान कभी कालेज में नहीं लाया गया। समय समय पर शासकीय माडल साइंस कालेज में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं ने कालेज प्रबंधन के सामने आवाज जरुर उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। सूत्रों ने बताया कि यदि मध्य प्रदेश शासन बाहरी और गोपनीय टीम भेजकर शासकीय माडल साइंस कालेज में रखे रिकार्ड की जांच करवाए तो बहुत बड़ा खेल उजागर होगा। इतना ही नहीं पूरे खेल को अंजाम देने वाले माडल साइंस कालेज के प्रभारी प्राचार्य और प्राध्यापक भी बेनकाब हो जाएंगे।
जिले के इस सबसे बड़े शासकीय माडल साइंस कालेज में घोटालों की इबारत सुनियोजित तरीके से लिखी गई है। कागजों में लीपापोती करने वाले लोगों के समूह ने अपने व्यक्तिगत फायदे को लेकर खेल में अपनी भूमिका निभाई है। खेल सामग्री, प्रायोगिक लैब के लिए खरीदे गए उपकरणों के मामले में भी बड़े खेल को अंजाम दिया गया है। छात्र छात्राओं के लिए पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के नाम पर भी शासकीय माडल साइंस कालेज में बेलगाम व्यवस्था का दंश छात्र छात्राओं को झेलना पड़ता है।
शिक्षण प्रशिक्षण के नाम पर भी शासकीय माडल साइंस कालेज में बड़े खेल को अंजाम दिया गया है। शासकीय माडल साइंस कालेज के प्राचार्य डॉ पंकज श्रीवास्तव और उनके चहेते दो से तीन प्राध्यापकों ने मिलकर माडल साइंस कालेज में करप्शन की चौंकाने वाली कहानी लिखी गई है। अपने आपको बेदाग बताने वाले इस गिरोह के कारनामें चौंकाने वाले हैं।
और सेटिंग के माध्यम से जूनियर बना प्रभारी प्राचार्य
जिले के सबसे बड़े शासकीय माडल साइंस कालेज में तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य डॉ आरपी मिश्रा के जमाने से लुट खसोट का कारोबार शुरू हो गया था। आरपी मिश्रा के खेल भी हमेशा चर्चाओं में बने रहते हैं। सेवानिवृत्त होने के दौरान ही सुनियोजित तरीके से सीनियर को दरकिनार करते हुए जूनियर पर अपने चहेते को कालेज का प्रभार सौंपा गया। शासकीय माडल साइंस कालेज में सीनियर मोस्ट प्रोफेसरों में डा सुमन सिंह का नाम आता है इसके बाद भी तत्कालीन कालेज के प्राचार्य डॉ आरपी मिश्रा ने नियम विरुद्ध तरीके से डॉ सुमन सिंह से जूनियर डा पंकज श्रीवास्तव को माडल साइंस कालेज के प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौंप दिया। महिला होने के कारण सीनियर डा सुमन सिंह ने विरोध करना मुनासिब नहीं समझा। केवल सेटिंग और जीहुजूरी के कारण ही जूनियर डा पंकज श्रीवास्तव को प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया। बताते हैं कि इस खेल में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा कार्यालय रीवा संभाग की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही। उच्च शिक्षा विभाग भोपाल में बैठे प्रमुख सचिव और आयुक्त जैसे दिग्गज अधिकारियों को गुमराह करते हुए शासकीय माडल साइंस कालेज में सीनियर डा सुमन सिंह का हक छीनकर जूनियर डा पंकज श्रीवास्तव को प्रभारी प्राचार्य बनवा दिया गया। इसके बाद से ही घोटालों की रफ्तार माडल साइंस कालेज में तेज हो गई। जोर जुगाड से माडल साइंस कालेज के प्राचार्य बनने में सफल होने वाले डॉ पंकज श्रीवास्तव को जूनियर होने के बाद भी इसलिए महत्वपूर्ण कुर्सी पर बैठाया गया जिससे उन्हें ही अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा रीवा संभाग का प्रभार मिल सके। आज डॉ पंकज श्रीवास्तव ही प्रभारी अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा और शासकीय माडल साइंस कालेज के प्राचार्य बने हुए हैं।