डॉ. रीना रवि मालपानी द्वारा 11 मार्च महाशिवरात्रि पर लिखित कविता “शिव-शक्ति विवाह की महान रात्रि”
ओढरदानी, त्रिपुरारी हुए इस पावन दिन गृहस्थ जीवन में प्रविष्ट।
उनके समान ही करना होगा हमें भी त्याग और सादगी को जीवन में समाविष्ट॥
नीलकंठ, विश्वनाथ, अविनाशी देते दया और करुणा का ज्ञान।
इस पावन दिवस हम भी माँगे शिव-शक्ति से भक्ति का वरदान।।
असाध्य को साध्य बना सकती शिव-शक्ति आराधना।
मनुष्ययोनि के द्वारा ही संभव है ध्यान, योग और साधना॥
इस दिन पूजन अर्चन से मिलता शिव-शक्ति का आशीर्वाद।
आशुतोष तो जानते अपने भक्त के समस्त हर्ष-विषाद॥
आध्यात्मिक उत्सव मनाने का यह है अनूठा दिन।
सृष्टि चक्र में शिव और शक्ति अधूरे है एक दूसरे के बिन॥
युग-युग के साथी शिव-शक्ति इस दिन परिणय सूत्र में बँध जाते।
जन-मानस को शिक्षा के लिए वियोग और संयोग की अनूठी लीला रचाते॥
मोह-माया से विरक्त होकर आध्यात्मिक उत्सव के दिन समझे ईश विधान।
यह त्यौहार तो है निमित्त मात्र, जिनसे हम करें प्रभु का स्मरण और गुणगान॥
इस महान रात्रि को अर्जित करें शिव भक्ति का छोर।
शिव-शक्ति की कृपा से उदय होगा सुनहरा भोर॥
नटराज, रुद्र, अर्धनारीश्वर हर अवतार देता अद्वितीय शिक्षा।
भक्त तो चाहता केवल शिव-शक्ति से भक्ति की भिक्षा॥
जीवन यात्रा का अंतिम ध्येय ईश प्राप्ति में है निहित।
करें शिव-शक्ति तत्व को क्यों न जीवन में समाहित॥
भोलेनाथ का सम्पूर्ण जीवन देता सरलता, उदारता का मूल मंत्र।
डॉ. रीना कहती शिव-शक्ति ध्यान से बदले हम भी जीवन का तंत्र॥