तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल का कहना है कि तिहाड़ जेल से पैरोल पर छोड़े गए अधिक्तर सजायाफ्ता कैदी वापस लौट चुके हैं। जो विचाराधीन कैदी नहीं लौटे हैं, उनमें से अधिक्तर छोटे अपराध में आरोपित हैं। उन्हें कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी।
नई दिल्ली : पिछले वर्ष राजधानी दिल्ली में कोरोना के कहर को देखते हुए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया। इस दौरान जेलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए 6 हजार 500 से ज्यादा कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया, लेकिन जमानत अवधि खत्म होने पर इनमें से 3 हजार, 400 से ज्यादा कैदी वापस नहीं लौटे। अब चिंता का विषय ये है कि इनमें से काफी कैदी गंभीर अपराधों में आरोपित है। इसके चलते दिल्ली पुलिस से लेकर तिहाड़ प्रशासन तक के लिए यह सिरदर्द बन गया है। ऐसे में कैदियों के जेल के बाहर रहने से अपराध के बढ़ने की संभावना बनी हुई है।
तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत में बताया कि वर्ष 2020 में जब जेल के भीतर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो कैदियों की संख्या क्षमता से डेढ़ गुना थी। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए तिहाड़ जेल ने धीरे-धीरे करीब 6 हजार 500 कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ दिया। इनमें से 1 हजार185 सजायाफ्ता कैदियों को तिहाड़ जेल और दिल्ली सरकार ने इमरजेंसी पैरोल पर छोड़ा। वहीं 5 हजार, 556 विचाराधीन कैदियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक कमेटी द्वारा तय किए गए नियमों के आधार पर अंतरिम जमानत पर कोर्ट से छोड़ा गया था। बीते दिसंबर माह के बाद जब दिल्ली में कोविड संक्रमण के मामले कम होने लगे तो इन कैदियों को वापस सरेंडर करने के लिए कहा गया। इनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा कैदी ने अभी तक सरेंडर नहीं किया है।
पूर्व लॉ अफसर ने बताया कि तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत पर सभी तरह के कैदी छोड़े गए थे। इनमें छोटे अपराध से लेकर हत्या जैसे गंभीर अपराध के आरोपित भी शामिल थे। इन्हें 45 दिन की अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया था, लेकिन हालात खराब होने के चलते इस अवधि को कई बार बढ़ाया गया। उन्होंने बताया कि मीडिया की ओर से जानकारी मिली है कि बड़ी संख्या में कैदी वापस नहीं लौटे हैं। ऐसे में हो सकता है कि इनमें से कुछ कैदी बरी हो गए हों या उन्होंने रेगुलर जमानत ले ली हो। कुछ कैदियों ने इस अवधि को बढ़वा लिया हो, लेकिन इसकी जानकारी तिहाड़ प्रशासन को नहीं दी। इसके साथ ही यह भी संभावना है कि काफी कैदी इस मौके का फायदा उठाकर फरार हो गए हैं।
कैदियों के बाहर होने से अपराध का ग्राफ बढ़ेगा
दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष पूर्व एसीपी वेदभूषण की मानें तो अभी जो कैदी जेल वापस नहीं आए हैं, इनमें से अधिक्तर अपराध को अंजाम देंगे। जेल में सरेंडर नहीं करना बताता है कि वह दिल्ली की सड़कों पर अपराध करने के मकसद से फरार हुए हैं। इन कैदियों को जब 2020 में छोड़ा गया था तो उस समय भी चोरी, झपटमारी, लूट आदि वारदातों का ग्राफ बढ़ा था। अब इनके जेल नहीं जाने से एक बार फिर स्ट्रीट क्राइम (सड़क पर होने वाला अपराध) बढ़ेगा।
फरार आरोपितों की गिरफ्तार बड़ी चुनौती
वेदभूषण ने बताया कि पुलिस के लिए इन्हें पकड़ना बड़ी चुनौती है। राजधानी में एक बार फिर कोरोना संक्रमण तेजी से फैल चुका है। कुछ ही दिनों में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। ऐसे में तीन हजार लापता कैदियों को तलाशना पुलिस के लिये बड़ी चुनौती है।
यह कहना है तिहाड़ जेल के डीजी का
वहीं तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल का कहना है कि तिहाड़ जेल से पैरोल पर छोड़े गए अधिक्तर सजायाफ्ता कैदी वापस लौट चुके हैं। जो विचाराधीन कैदी नहीं लौटे हैं, उनमें से अधिक्तर छोटे अपराध में आरोपित हैं। उन्हें कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी। इनकी जानकारी दिल्ली पुलिस के साथ साझा की गई है। यह संभव है कि इन विचाराधीन कैदियों में से कुछ को नियमित जमानत मिल गई हो। इसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है।
कैसे मिलती है पैरोल
पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता के अनुसार, जेल में बंद कोई भी कैदी पैरोल के लिए जेल प्रशासन को आवेदन देता है। इस आवेदन के साथ उसका कारण बताना होता है। आमतौर पर किसी खुशी के मौके, मातम, इलाज आदि के लिए कैदी पैरोल मांगते हैं। उनके व्यवहार को ध्यान में रखते हुए जेल प्रशासन इसे दिल्ली सरकार को भेजती है, जहां से इसकी मंजूरी मिलती है। अगर सरकार इसे नामंजूर करती है तो कैदी को पैरोल नहीं मिलती।
क्या है इमरजेंसी पैरोल
सुनील गुप्ता के अनुसार, तिहाड़ जेल मैन्युअल में इमरजेंसी पैरोल का प्रावधान है। कोविड जैसी विशेष परिस्थितियों में सजायाफ्ता कैदी को इमरजेंसी पैरोल दी जाती है। इस इमरजेंसी पैरोल पर जेल से बाहर निकलने वाले कैदी की सजा में इन दिनों को भी जोड़ा जाता है। इमरजेंसी पैरोल की अवधि आमतौर पर अधिकत्तम 45 दिन की होती है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है।
ऐसे मिलती है अंतरिम जमानत
अंतरिम जमानत पाने के लिए किसी भी कैदी को कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करनी होती है। अधिवक्ता के द्वारा विचाराधीन कैदी कोर्ट को बताता है कि उसे अंतरिम जमानत क्यों चाहिए। अभी के मामले में जो कैदी छोड़े गए, उन्होंने कोविड के चलते अंतरिम जमानत मांगी थी। उनकी बात सुनने के बाद कोर्ट निर्णय लेती है कि विचाराधीन कैदी को अंतरिम जमानत दी जाए या नहीं।
कैदियों के खिलाफ यह होगा एक्शन
पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता ने बताया कि लापता हुए कैदियों के बारे में तिहाड़ जेल दिल्ली पुलिस को सूचना देगी। दिल्ली पुलिस इन कैदियों की तलाश कर उन्हें गिरफ्तार करेगी। संबंधित कोर्ट के समक्ष उन्हें पेश किया जाएगा, जहां से उन्हें दोबारा जेल भेजा जाएगा। जेल में भी इन कैदियों को सजा दी जा सकती है।