नेपाल में एक बार फिर जारी राजनितिक गतिरोध और बिखराव के दौर में नेपाली कांग्रेस व प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी के एक होते सुर क्या इशारा कर रहें हैं ?
दुनिया / इंडियामिक्स न्यूज़ नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग होने के बाद कई राजनैतिक गठजोड़ की संभावनाएं पांव पसारती नजर आ रही है। एक साथ मिलकर सरकार बनाए कम्युनिस्ट के दो बड़े धड़े इन दिनों एक दूसरे के प्रति तल्ख लहजे में हैं। मात्र 91 सांसदों के अविश्वास प्रस्ताव पर नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली शर्मा ने बिना प्रतिनिधि सभा में बहस व विचार के अचानक प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया। साथ ही मार्च-अप्रैल तक चुनाव की घोषणा कर दी। यह बात नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प दहाल उर्फ प्रचंड के गले नहीं उतर रही है। अब सभाएं कर सड़क पर ओली के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ओली के फैसले को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस भी ओली के फैसले से असंतुष्ट कम्युनिस्ट दालों के सुर में सुर मिला रहे हैं। नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य प्रदीप पौडेल ने गांव-गांव विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है। कई स्थानों पर कांग्रेसियों का ओली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हालांकि नेपाल में कार्यकाल से पूर्व ही प्रधानमंत्री हट जाना कोई नई बात नहीं है। इसे एक अजीब रिकॉर्ड ही माना जा सकता है कि आजतक नेपाल के किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्य काल पूरा नहीं किया है।
वर्ष 1990 से 2008 तक के राजतंत्र संवैधानिक काल में कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। इसी तरह वर्ष 2008 में राजशाही समाप्त होने के बाद से अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर पाया। हालांकि इस राजनैतिक उथल-पुथल में हमेशा ही नेपाली कांग्रेस , कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल ( प्रचंड गुट) और कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल ( केपी ओली शर्मा) गुट की प्रभाविता रही।
बीते चुनाव में केपी ओली और प्रचंड गुट की कम्युनिस्ट पार्टी ने गठबंधन कर नेपाली कांग्रेस को हराकर भारी बहुमत पाया। एक आस जगी कि यह भारी बहुमत वाली सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। लेकिन कम्युनिस्ट दल फिर अलग हो गए। जिससे वर्तमान समय में तमाम राजनैतिक गठजोड़ की संभावनाएं पांव पसार रही हैं। नेपाल के संघीय समाजवादी फोरम, राष्ट्रीय जनमोर्चा, संघीय लोक लोकतांत्रिक राष्ट्रीय मंच, विवेकशील साझा पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (डेमोक्रेट), नेपाल मजदूर किसान पार्टी व सीके राउत की नवसृजित जनमत पार्टी जैसे कम जनाधार वाली राजनैतिक पार्टियों के लिए भी गठबंधन का एक खुला द्वार बन रहा है।