विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, यह वैक्सीन 65 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित
दुनिया – कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत सहित दुनिया के कई देश इसकी वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक पैनल ने भारत में बनी कोविशील्ड वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए पूरी तरह सुरक्षित बताया है। इस वैक्सीन को एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मिलकर बनाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैक्सीन की जमकर तारीफ की है और कहा है कि कोविशील्ड के फायदे किसी जोखिम के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं और इन टीकों के इस्तेमाल के लिए सिफारिश की जानी चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि यह 65 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित है।
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन के परीक्षण का काम अंतिम चरण में है और इस महीने के मध्य तक इसे इमर्जेंसी अप्रूवल दिया जा सकता है। टीकाकरण पर डब्ल्यूएचओ के स्ट्रैटिजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट पैनल ने संयुक्त वार्ता में कहा कि कोविशील्ड के टीकों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामिनाथन ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं इस उत्पाद को जल्द इमर्जेंसी यूज की मंजूरी मिल सकती है। पैनल ने कहा कि इस वैक्सनी की दो खुराक दी जानी चाहिए और इनके बीच 8 से 12 हफ्तों का अंतराल हो। इनका इस्तेमाल 65 या इससे ज्यादा की उम्र के लोगों के लिए भी किया जा सकता है। बताते चलें कि दक्षिण अफ्रीका में एस्ट्रेजेनेका के टीकों का इस्तेमाल रोक दिया गया है क्योंकि यहां कुछ छोटे परीक्षणों में यह बात सामने आई कि यह नए वायरस के नए स्ट्रेन के हल्के से मध्यम संक्रमण से बचाव नहीं कर पा रहा है।
भारत में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है। अब तक देश में 70 लाख लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है। देश में कोरोना की दो वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही है- पहली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और दूसरी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के 4 जनवरी तक के आंकड़ों के हिसाब से यह जानकारी दी गई है कि कोविशील्ड के अब तक 8402 मामले ऐसे सामने आ गए हैं, जिसमें टीका लगवाने वाले व्यक्ति में विपरीत असर देखा गया है जबकि भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के विपरीत असर के अब तक सिर्फ 81 मामले सामने आए हैं।