परमार्थ कार्य में केवल धन ही नही मन का समर्पण भी आवश्यक यह संकल्प धन से ही नही मन के समर्पण के साथ समर्पित होना आवश्यक है और इस सद्कार्य किसी एक से ही नही सभी के अपने दृढ़ संकल्प एवं सामूहिक पुरुषार्थ से ही संभव है
देवास। इंडियामिक्स न्युज हाटपिपल्या नवदुर्गा उत्सव समिति व समस्त महिला मंडल द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत पुराण की भक्ति की लहर कलश व पोथी यात्रा के साथ प्रारंभ हो गई है ,जहां कथा वाचिका साध्वीश्री अखिलेश्वरी दीदी मां ने श्रीमद्भागवत कथा का महामात्य के साथ श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान सद्कर्म के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन अनमोल है और इसे हमें परमार्थ हित हेतु दृढ़ संकल्पित करना चाहिए । और यह संकल्प धन से ही नही मन के समर्पण के साथ समर्पित होना आवश्यक है और इस सद्कार्य किसी एक से ही नही सभी के अपने दृढ़ संकल्प एवं सामूहिक पुरुषार्थ से ही संभव है ।
दीदी मां ने बताया कि बिता वर्ष सुख व दुख दोनों का साक्षी है जहां एक और कोरोना से लड़ना पड़ा वही दूसरी और श्रीराम मंदिर निर्माण के कानूनी आदेश ने लंबे समय से चलने वाले संघर्ष से मुक्त किया। साध्वीश्री ने बताया कि इस राष्ट्र की पुण्य धरा पर भगवान श्रीराम व कृष्ण ने अवतार लेकर समरसता का संदेश दिया। इसलिए हम सभी को श्रीराम काज में श्रीराम भक्तों, राष्ट्र सेवकों का सहयोग मन के समर्पण के साथ देना है।
दीदी मां ने बताया कि श्रीभागवत पवित्र पुण्य धार्मिक ग्रंथ ही नही बल्कि ये सृष्टि के आरंभ से कलियुग तक की कथा है। जिसे ध्यान मग्न होकर सुनने व ह्रदय में उतारने से ही समझा जा सकता है।भागवतश्रीमद् भागवत सभी के कल्याण के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। इसमें भगवान विष्णु के विभिन्न प्रमुख 24 अवतारों का वर्णन है, किंतु श्री कृष्ण जी का जीवन चरित्र इसमें मुख्य माना जाता है।