पीपलरांवा नगर के ऐसे रामभक्त जिन्होंने वर्ष 1977 में राममंदिर बनने का संकल्प लेकर आज तक अपने केश नहीं कटाए हैं। अब जबकि अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास हो गया है।
देवास / इंडियामिक्स न्यूज़ श्रीराममंदिर निर्माण को लेकर देश के अनेक कारसेवकों व रामभक्तों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया जिनकी भगवान राम के प्रति अपार श्रद्धा व भक्ति का ही परिणाम है कि अयोध्या में शीघ्र ही राममंदिर बनकर तैयार होने वाला है। पीपलरांवा नगर के ऐसे रामभक्त जिन्होंने वर्ष 1977 में राममंदिर बनने का संकल्प लेकर आज तक अपने केश नहीं कटाए हैं। अब जबकि अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास हो गया है। ऐसे में ये रामभक्त अयोध्या जाकर 43 वर्ष बाद मां सरयू को अपने केश काटकर समर्पित करेंगे।
दरअसल नगर पीपलरावां के पवनदिवान बागवान वर्ष 1977 में मात्र 22 वर्ष की उम्र में नाथूदास बैरागी तथा चुन्नीलाल नवगौत्री के साथ पीपलरावां से प्रयागराज तक की 50 दिनों की पदयात्रा पर गए थे। प्रयागराज पहुंचकर उन्होंने त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद ट्रेन से अपने दोनों साथियों के साथ अयोध्या में भगवान रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने भगवान रामलला के दर्शन किए।इसके बाद वामदेवजी महाराज के यज्ञ में शामिल हुए ।वहां पर उपस्थित सभी साधु-संतो ने अयोध्या में राम मंदिर बनने तक अपने शरीर के केश नहीं कटाने का संकल्प लिया था।साधु संतों के साथ इन तीनों लोगों ने भी अपने केश नहीं कटाने का संकल्प लिया था।अयोध्या से आने के कुछ वर्षों बाद पवन दीवान के बाकी दो साथियों का निधन हो गया था। किंतु पवन दीवान बागवान ने वर्ष 1977 से लेकर आज तक उस संकल्प का पालन किया है तथा अपने केश नहीं कटवाएं है।
माता-पिता की मृत्यु पर भी नहीं कटाए थे केश
पवन दीवान बागवान अपने केश नहीं कटाने को लेकर काफी दृढ़संकल्पित थे।कुछ वर्षों पूर्व जब उनके माता-पिता की मृत्यु हुई थी तो समाजजनों ने उनसे अपने केश कटाने को कहा था ।किंतु बागवान ने अपने केश नहीं कटाए। अब जबकि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 5 अगस्त को राममंदिर का शिलान्यास किया गया है। शीघ्र ही अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाएगा। जिससे पवन दीवान बागवान काफी प्रसन्न है।उन्होंने कहा कि 43 वर्ष पूर्व उनके द्वारा राममंदिर बनने को लेकर केश नहीं कटाने का जो संकल्प लिया गया था।वह संकल्प अब पूर्ण होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर निर्माण पूर्ण होने पर वे अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे तथा अपने केश सरयू माता समर्पित करेंगे।