राष्ट्रीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, मध्यप्रदेश में हर पांचवां शख्स नशे की लत का शिकार
भोपाल – किसी भी तरह के नशे की लत कितनी बुरी होती है, यह आप उन लोगों से पूछें जिनके परिवार की सुख-शांति इस नशे की भेंट चढ़ गई है। नशे के सेवन से हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इतना ही नहीं, इससे परिवार बिखर जाते हैं और संबंधों में दरार तक आ जाती है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें लोगों को नशे के बारे में जागरुक करने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चलाती हैं और नशा उन्मूलन कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपए खर्च करती हैं, इसके बावजूद इस व्यसन पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है।
वर्ष 2017-18 में देश में पहली बार बच्चों और वयस्कों द्वारा मादक पदार्थों के दुरुपयोग पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया, जिसकी हाल ही में जारी रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाली बात सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के करोड़ों बच्चे नशे की लत की गिरफ्त में हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश में दस साल से 17 साल की उम्र के करीब 1.50 करोड़ बच्चों में नशे की लत पाई गई है।
रिपोर्ट में नशे का वर्गीकरण भी किया गया है और बताया गया है कि करीब 30 लाख बच्चे इनहेलेंट का, 40 लाख बच्चे अफीम का, 30 लाख बच्चे शराब का, 20 बच्चे भांग का, 20 लाख बच्चे सीडेटिव का और करीब 4 लाख बच्चे कोकीन आदि का इस्तेमाल करते हैं। वहीं वयस्कों की बात की जाए तो 18 से 75 साल के करीब 21.20 करोड़ लोग नशे के आदी हैं। इनमें 15.10 करोड़ लोग शराब का, 2.90 करोड़ लोग भांग का, 1.90 करोड़ लोग अफीम का, 1.10 करोड़ लोग सीडेटिव का और 1.20 करोड़ लोग दूसरी तरह के नशे का इस्तेमाल करते हैं। इस सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश का आंकड़ा भी काफी चौंकाने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के हर पांचवें शख्स में नशे की लत है। अनुमान के तौर पर प्रदेश में करीब 8 लाख और जबलपुर में वयस्क व बच्चों को मिलाकर करीब 50 हजार लोग नशे का शिकार हैं।
इन आंकड़ों को देखते हुए नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच सहित कई अन्य संस्थाओं ने सरकार से मांग की है कि स्कूल-कॉलेजों के आसपास खुली शराब की दुकानों को बंद किया जाए। इन संस्थाओं ने यह फैसला भी किया है कि नागरिकों के सहयोग से समाज में नशा मुक्त अभियान चलाया जाएगा और लोगों को नशे के खिलाफ जागरुक बनाने की पहल की जाएगी।