8 जनवरी 2023 को राजपूत करणी सेना अपनी 21 सूत्रीय मांगो को लेकर प्रदेश की राजधानी भोपाल के जंबूरी मैदान में आंदोलन शुरू कर चुकी है ।
भोपाल/रतलाम राजपूत करणी सेना ने कई महीनो की मेहनत के बाद आखिरकार 8 जनवरी के महा आंदोलन की शुरुआत भोपाल के जंबूरी मैदान से कर दी । रतलाम के शेरपुर गांव के जीवनसिंह के नेतृत्व में शुरू हुआ ये आंदोलन प्रदेशभर के राजपूतों को संगठित करने में सफल रहा हैं । उनके नेतृत्व में प्रदेश के अलावा आस पास के प्रदेश के राजपूत भी इस आंदोलन में बढ़- चढ़ कर शामिल हो रहे हैं । इस आंदोलन में मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ के साथ अन्य राज्यो से भी लोगो का हुजूम अपने संसाधनों के साथ भोपाल जाते हुए नजर आ रहा है । 8 जनवरी को जब आंदोलन की शुरुआत हुई तो लोगो में इस बार आर पार की लड़ाई वाला जुनून साफ देखने को मिल रहा है । जगह जगह युवाओं के नारे इस बात की पुष्टि करते है की इस बार ये आंदोलन लंबे समय तक चलने के लिए जरूरी संसाधन अपने साथ लिए चल रहा है । हालाकि राज्य सरकार इस आंदोलन को लेकर अपनी तमाम एजेंसियों को काम पर लगा चुकी है मगर फिर भी ये कहा जा सकता है की सरकार इसे उस नजर से समझने में कामयाब नही हुई है की इसे लेकर कोई व्यापक इंतजाम कर सके या इसके निस्तारण की कोई सटीक योजना बना सके ।
जीवन सिंह शेरपुर के नेतृत्व के शुरू हुआ ये आंदोलन अपनी मांगों को लेकर 8 जनवरी शाम 4 बजे तक का अल्टीमेटम राज्य सरकार को दे चुका था । आंदोलन के आयोजकों का कहना था की मुख्यमंत्री खुद आकर उन्हें लिखित में आश्वासन दे, लेकिन सरकार की तरफ से कोई बड़ा नेता नही आया । शाम 4 बजे बाद विधानसभा के घेराव की खबरे शुरू हो गई तभी कुछ अधिकारी की समझाइश और आश्वासन के बाद इसे टाल दिया गया मगर अपनी मांगो को लेकर संगठन के नेताओ ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है । आज सुबह तक आंदोलन जारी है । प्रदेश सरकार आज इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के आयोजन में लगी है इसलिए आज सुबह से कोई अधिकारी या नेता आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए उपलब्ध नही है । मगर जैसे ही आज शाम को ये प्रवासी भारतीय सम्मेलन समाप्त होगा ये आंदोलन फिर से सरकार के लिए चुनौती बनकर सामने खड़ा मिलेगा ।
देश की मुख्य मीडिया के कवरेज से दूर है आंदोलन
किसान आंदोलन की तरह ही इस आंदोलन को भी मीडिया का कवरेज ज्यादा नहीं मिल रहा है । लेकिन जो गलती दिल्ली में हुई थी वो भोपाल में न हो ये सरकार के लिए भी चुनौती है । समय के साथ आंदोलन बड़ा और अहम का स्वरूप न ले ले इसे लेकर भी संभावनाएं जताई जा रही है ।
ये है 21 सूत्रीय मांगे जिन्हे लेकर करणी सेना ने आंदोलन किया है
- आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाए, ताकि समाज के हर वर्ग के गरीबों को आरक्षण का लाभ मिल सके. एक बार आरक्षण मिलने पर दोबारा आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए.
- एससी, एसटी एक्ट में बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगे.
- एससी, एसटी एक्ट की तर्ज पर सामान्य-पिछड़ा वर्ग एक्ट बने जो सामान्य-पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा करे व कानूनी सहायता प्रदान करे.
- ईडब्ल्यूएस आरक्षण में भूमि व मकान की बाध्यता समाप्त कर आठ लाख की वार्षिक आय को ही आधार मानकर आरक्षण का लाभ दिया जाए. सभी भर्तियों में ईडब्ल्यूएस के छात्रों को उम्र सीमा में छूट एवं छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाए.
- वर्तमान में प्रक्रियाधीन शिक्षक भर्ती वर्ष 2018 में प्रथम काउंसलिंग के पश्चात शेष बचे हुए ईडब्ल्यूएस वर्ग के समस्त पदों को द्वितीय काउंसलिंग या शिक्षा विभाग की वर्तमान नियोजन प्रक्रिया में समस्त पदों के साथ ईडब्ल्यूएस वर्ग के पात्र अभ्यार्थियों से भरा जाए. ईडब्ल्यूएस के रिक्त पदों को इसी वर्ग से भरा जाए.
- प्राथमिक शिक्षक भर्ती वर्ग 3 के पदों में 51 हजार पदों पर न्याय संगत रोस्टर के साथ भर्ती की जाए व माध्यमिक शिक्षक वर्ग 2 के वंचित विषयों जैसे मातृभाषा हिन्दी, सामान्य विज्ञान, विज्ञान के विषय में पदों में वृद्धि की जाए.
- भर्ती कानून बनाए जाएं (प्रत्येक वर्ष नियमित भर्ती निकाली जाए) व्यापम के एक लाख पदों एसआई, पटवारी, अन्य विभागों में शीघ्र भर्ती की जाए एवं भर्ती नहीं होने पर बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाए.
- एमपीपीएससी की 2019, 20, 21 की भर्तियां संवैधानिक रूप से पूर्ण करो व ओबीसी आरक्षण मुद्दा हल करो.
- केन्द्र और राज्य की आने वाली सभी भर्तियों में सभी वर्गों को तीन वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जाए, राज्य सरकार द्वारा दी गई तीन वर्ष की छूट की समयावधि एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष की जाए.
- अतिथि शिक्षकों, रोजगार सहायकों व कोरोना काल में सेवा देने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित नियुक्ति प्रदान की जाए.
- किसानों के हित में स्वामीनाथन कमेटी सिफारिशों को लागू किया जाए, ताकि किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सके व रासायनिक खादों की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाया जाए. रोजड़ा (घोड़ा रोज) से प्रदेश के कई क्षेत्रों के किसान परेशान हैं, इसमें निजात दिलाने के लिए उचित कार्य योजना बनाई जाएं.
- खाद्यान्न (रोजमर्रा की चीजें) को जीएसटी से मुक्त किया जाए तथा बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाई जाए.
- क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास में छेड़छाड़ को तुरंत रोका जाए, इतिहास संरक्षण समिति बने ताकि समाज में आपसी सामंजस्य बना रहे.
- सवर्ण आयोग की कार्यप्रणाली में सुधारकर उसे क्रियाशील बनाया जाए.
- राज्य कर्मचारी आयोग की सिफारिश जिसमें कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 65 वर्ष करने को कहा गया है, किसी भी परिस्थिति में अब कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु नहीं बढ़ाई जाए.
- गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए व सरकार गौशालाओं के स्तर में सुधार किया जाए एवं गोबर व गौमूत्र को सरकारी स्तर पर खरीदने की व्यवस्था की जाए ताकि गौ-पालन से रोजगार के अवसर भी बढ़ें.
- पद्मावत फिल्म के विरोध में दर्ज प्रकरण वापस लिए जाएं.
- मप्र की भर्तियों में यहां के युवाओं को प्राथमिकता दी जाए अन्य राज्यों के अभ्यार्थियों का कोटा सीमित हो.
- कर्मचारियों को दी जा रही पदोन्नति के साथ उन्हें उसके साथ अधिकार व सुविधा भी दी जाएं. कर्मचारियों की पेंशन पुन: चालू की जाए.
- पुलिस विभाग में आरक्षकों की वेतन विसंगति को दूर कर 2400 ग्रेड पे लागू किया जाए.
- सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार कर शिक्षा का स्तर प्राइवेट स्कूलों की भांति किया जाए ताकि छात्र प्राइवेट स्कूलों की तरफ ना भागें व प्राइवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण रखने हेतू एक कमेटी बनाई जाए.