एक कारखाने वाले जैन साहब है तो दूसरे फर्नीचर वाले जैन साहब, इनसे ना निगलने को बन रहा है ना उगलने को, फूल वाले, इन हाथ वालो से कई गुना आगे
इंडियामिक्स/बेबाक-बोल : रतलाम जिले में फूल वालो के युवा नेता अपने मोर्चा अध्यक्ष की पदवी पाने के लिए तगड़ी ज़ोर आज़माइश में लगे हुए है। बड़ी हैरान कर देने वाली बात है की रतलाम में हाथ वालो को जहाँ विपक्ष का रोल निभाते हुए “फूल बनाम हाथ” की टक्कर करवानी चाहिए वहाँ एकतरफा फूल वाले ही भारी पड़ रहे है। फूल वाले, इन हाथ वालो से कई गुना आगे रहते हुए अपने नए नए मोर्चो को एक दूसरे के सामने खड़ा कर देते हैं और पूरे जिले में मीडिया फूटेज पर कब्जा जमा लेते है। ये बेरहम फूल वाले मासूम हाथ वालो के कुछ हाथ लगने नहीं दे रहे।
ख़ेर इससे हमे क्या लेना देना। हम बात मुद्दे की करते है की युवा नेताओ की इस दौड़ में पिछले 6 महीनों में 6 से 7 नाम निकलने के बाद अब आख़िर में दो नाम चर्चा में हैं। “एक कारखाने वाले जैन साहब है तो दूसरे फर्नीचर वाले जैन साहब।” दोनों एक दूसरे पर भारी है! ऐसा जनता कहती है हमे नहीं मालूम। हमारे पक्के मन के सूत्रों के अनुसार इस बार शहर के भय्या जी का वृहद हस्त काम करेगा और उनके करीबी “कारखाने वाले जैन साहब” को यह पदवी मिलने की 99 प्रतिशत सम्भावना है। 1 प्रतिशत सम्भावना इसलिए नहीं है क्योंकि हमारी ख़बर से कहीं शर्मा जी की छड़ी से चलती भोपाल की आलाकमान रुख़सत हो कर फैसला बदल भी दे। वैसे मोर्चे के छुटपुट नाम रोज घोषित हो रहे हैं और रोज रतलामियो की नज़र सोशल मीडिया पर है।
वर्तमान में इन दोनों युवा नेताओ की स्थिति इस समय ऐसी है कि इनसे ना निगलने को बन रहा है ना उगलने को। इसका कारण नीमच में हुए वायरल कांड को लेकर यहाँ के दोनों ऊर्जावान नेता चिंतित हैं। दोनों ने अपने-अपने चहेतो को फिलहाल होल्ड पर रखा हुआ है, की कोई भावुकता में आ कर अघोषित घोषणा सोशल मीडिया पर शुरू ना कर दे जिससे इनके हाल नीमच के युवा नेता जैसा बेहाल हो जाए।
तो फर्नीचर वाले नेता का पत्ता कटेगा :-
बताया जा रहा है कि जिसके कंधे पर बैठकर फर्नीचर वाले युवा नेता अपना तोरण मारना चाहते थे। उन्होंने अपने पुत्र रत्न को कंधे पर बैठाकर तोरण मरवा दिया है। नियमानुसार एक कंधे से एक ही बार तोरण लगाया जा सकता है। जो कि धार के बदनावर से लग चुका है और अब रतलाम से संभव नहीं है।
इसके बाद अभिमन्यु के रथ के पहिये के समान चक्रव्यूह को भेदने के लिए कारखाने वाले युवा नेता बिल्कुल छाती चौड़ी कर के मैदान में खड़े है। इसके पीछे का कारण यह है की जावरा के महोदय की पसंद का ख़याल रखने वाली आलाकमान को अब शहर वाले महोदय की पसंद का ख़याल रखना भी जरूरी बन गया है। बरहाल यह सब अनुमान केवल हवा में लठ्ठ घुमाने के समान है। फूल वालो की आलाकमान एन वक़्त पर क्या गोटी घुमा दे यह कहना मुश्किल है।