लोगो में भाजपा की पूर्व महापौर की असक्रियता और कार्यो को लेकर असंतोष साफ़ नज़र आ रहा हैं, वही कांग्रेस अपनी छवि से अलग तरह से चुनाव में उतरी है, मयंक जाट को लेकर युवाओ में जोश साफ़ दिखाई देता हैं .
रतलाम/ इंडियामिक्स इंडियामिक्स मीडिया नेटवर्क ने रतलाम में कई लोगो और राजनीतिक जानकारों से वर्तमान चुनाव को लेकर बात की. हमारी टीम ने रतलाम के चौराहों पर हो रही चर्चो को भी सुना और लोगो के मानस को समझने की कोशिश की. इन सारे पहलुओ को ठीक से समझकर हम ने एक विश्लेषण तैयार किया हैं जिसे हम सम्पादित कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं.
इस बार निकाय चुनाव में एक अलग ही माहौल नज़र आता हैं. वैसे रतलाम शहर भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन इस बार भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही हैं. जिसका कारण जब हमने ढूंढने की शुरुआत की तो हमें कई वार्डो के लोगो ने बताया की उनके क्षेत्र में भाजपा ने पार्षद उम्मीदवार ठीक नही उतरा जिसकी वजह से भाजपा में सबसे ज्यादा बागी उम्मीदवार मैदान में आ गए है. कई वार्ड तो ऐसे भी हैं जहाँ भाजपा और भाजपा के ही बाघी उम्मीदवार में सीधी टक्कर हैं. जिसका नुकसान भाजपा को सिर्फ वार्ड में ही नही अपितु महापौर के चुनाव में भी देखने को मिल सकता है. ये नुकसान कितना बड़ा होगा ये तो अभी स्पस्ट नही हैं मगर ये तय हैं की भाजपा की राह आसन नही होगी
जो भी भाजपा के बागी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं उनके लिए भी खुद के लिए वोट मांगते हुए महापौर में भाजपा को वोट मांगने में परेशानी साफ़ नज़र आ रही हैं. ऐसी परिस्तिथि में भाजपा में वोटिंग में एक बड़ा नुकसान साफ़ नज़र आ रहा है. वही दूसरी ओर कांग्रेस के परंपरागत वोटिंग में भी पिछले कई सालो से गिरावट साफ़ देखने को मिल जाती है. एक समुदाय विशेष के वोट जो पहले एक तरफ़ा कांग्रेस में मिलते थे वो भी धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं. भाजपा के अथक प्रयास से पिछले दो विधानसभा चुनाव से भाजपा इन वोटो का कुछ प्रतिशत वोट पाने में सफल रही है. वर्तमान विधायक जो की दूसरी बार के विधायक हैं उन्हें इसका श्रेय जाता हैं.
मगर कुछ समय से देश के माहौल को देखते हुए इस बार इसकी उम्मीद कम ही हैं की भाजपा इस बैंक में इस बार सेंध लगा पायेगी. ऐसी परिस्तिथि में भाजपा को इस बार दुगुनी मेहनत करनी पढेगी. और निरंतर विधायक जी की नुक्कड़ सभाए इस बात को सिद्ध करती हैं की इस बार राह भाजपा की भी आसान नही हैं.
वही कांग्रेस खैमे में इस बार एक नया उत्साह भी साफ़ नज़र आ रहा है जिसके स्त्रोत कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी मयंक जाट हैं जिनकी लोकप्रियता युवाओ में साफ़ देखी जा सकती हैं. उनके जनसंपर्क में लोगो के साथ उनका सामंजस्य सकारात्मक दिखाई देता हैं. मयंक जाट की निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ ट्यूनिंग भी बनाने की कोशिशे लगातार देखने को मिल रही हैं. जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा हैं. वही भाजपा ने कल ही अपने 24 बागी उम्मेद्द्वारो को 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया हैं. ऐसे में उनमे से जो अपने क्षेत्र के लोकप्रिय नेता होंगे वो भी भाजपा के समर्थन में जाहिर हैं की कार्य नही करेंगे. ऐसी परिस्तिथियों का फायदा सीधे मयंक जाट को मिलने की संभावनाओ से इनकार नही किया जा सकता.
मयंक जाट के जनसंपर्क से अंदाजा लगाया जा सकता हैं की रतलाम की हवा में कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूत नज़र आती हैं. मगर भाजपा की जमीनी पकड़ और संघ की टीम की कार्यशैली को रतलाम में कमजोर नही कहा जा सकता. इसलिए आखिर के 3 दिनों में भाजपा हमेशा की तरह कमाल दिखा पाती हैं या नही, ये देखने वाली बात होगी . मगर वर्तमान में मयंक जाट को सिर्फ भाजपा के कोर वोटर जैन समाज और ब्राह्मण समाज पर कार्य करने की जरुरत हैं बाकि उन्हें इससे बेहतर माहौल मिल नहीं सकता.