सत्तापक्ष के नेता लगातार कोरोना गाइडलाइंस की अवहेलना कर समाज मे गलत संदेश दे रहे है । लोगो मे अब ये चर्चा की प्रशासन का रवैया भेदभाव पूर्ण है, जनता के लिए कुछ ओर नेताओ के लिए कुछ ओर ।
रतलाम / इंडियामिक्स प्रदेश ( MP ) से लेकर रतलाम ( Ratlam ) शहर तक कोरोना ( Corona third Wave ) तीसरी लहर बनकर लोगो को लगातार संक्रमित कर रहा है । देश के प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान ( Shivraj Singh Chouhan ) तक इसे गंभीर आपदा समझकर लोगो मे मास्क ( Mask ) और सामाजिक दूरी ( Social Distancing )को लेकर लगातार जागरूकता फैला रहे है । इस काम पर सरकार जनता के टैक्स के पैसों से लगातार विज्ञापन दे दे कर जागरूकता फैला रही है, जो होना भी चाहिए । एक अच्छा अनुभव है कि जनता का पैसा जनता में महामारी के प्रति जारूकता लाने के लिए खर्च हो रहा है । वरना अभी तक तो ये पैसा नेताओ की इमेज चमकाने के लिए ही खर्च होता रहा है अलग अलग योजनाओं के प्रचार के नाम पर ।
खैर अब मुद्दे पर आते है, लगातार मास्क और सामाजिक दूरी का प्रचार करने वाली मध्यप्रदेश सरकार उस समय कटघरे में खड़ी नज़र आती है, जब सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी अपने प्रवास के कार्यक्रम ही कोरोना काल मे बनाते है । जिस प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि लोगो को सामाजिक दूरी और मास्क के लिए प्रेरित करे, वही प्रशासन जब सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की सेवा में इस कदर मग्न हो जाये कि उन्हें सिर्फ ये ही परवाह रहे कि कही साहब को कोई दिक्कत न हो जाये फिर मास्क और सामाजिक दूरी सिर्फ औपचारिकता ही बचते है ।
2 दिन पूर्व ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ( MP BJP President ) आपने प्रवास कार्यक्रम के दौरान रतलाम होकर गुजरे, ये बात रतलाम के नेताओ और प्रशासन को पता चली और फिर क्या था, कोरोना के नाम पर लोगो के चालान काटने वाला प्रशासन अपने रसीद कट्टे को अलमारी में रखकर चल दिये पूरे तामझाम के साथ साहब की व्यवस्था में, वही सत्ता पक्ष के नेताओ की बाढ़ सी आ गयी । ऐसा लग रहा था मानो कोरोना किसी ओर ग्रह की बीमारी हो और अभी पृथ्वी से करोड़ो किलोमीटर दूर है जिसे आने में लगभग कई साल लग जायेंगे ।
मास्क सिर्फ इसलिए साथ लाये थे क्योंकि आते वक्त सड़क पर कोई चालान न बना दे । प्रदेश अध्यक्ष जी के स्वागत में पहुचने के बाद किसकी हिम्मत है कि चालान या केस दर्ज कर ले । ऐसे मन को प्रफुल्लित करने वाले विचारों को संजोय हुए, 30 रु से लेकर 500 रु तक की मालाएं खरीदकर पहुच गए स्वागत करने, मुह पर मास्क लगा सकते थे कुछ ने लगाए भी, मगर अधिकतर नेता बने ही सोशल मीडिया से है, तो वाजिब था कि मास्क लगाने पर चेहरा नही दिखेगा और उनका फ़ोटो बिना चेहरे के लेने का कोई फायदा ही नही है ।
नंबर बढ़ाना और उनकी राजनीतिक प्रोफाइल को अपडेट भी तो करना था । इसलिए मास्क तो नही जम पा रहा था । सही भी है, शायद क्योकि उन्हें लगता है दिनभर लगाते है कुछ देर में क्या फर्क पड़ जायेगा । आगे सुनिए, पैर छूने से संस्कार दिखते है, सामाजिक दूरी कम नही होती । इन्ही पावन विचारों के साथ लोग जिम्मेदार सत्तापक्ष के प्रदेश अध्यक्ष के नीचे पैरों में भी लाइन लगा रहे थे । नए-नए रतलाम युवा मोर्चे के अध्यक्ष ने अपनी दाढ़ी पर मास्क इसलिये लगाया था ताकि कोरोना समझ जाएं कि वो बड़े नेता है । जिससे वो कोरोना के परिवार के नये मेहमान जिसे हम ओमिक्रोन कहते है वो इन नए नेताजी से जूनियर है । इसलिए रतलाम युवा मोर्चे के अध्यक्ष पूरे फ़ोटो सेशन में कोरोना के इस बच्चे (ओमिक्रोन) से अधिकतर अपनी दाढ़ी को सुरक्षित करने में लगे थे ।
इस दौरान सच मे बड़े नेताजी प्रदेश अध्यक्ष ने अपने कार्यकर्ताओं को समझाया कि नही ये बड़ा सवाल है ।
हो सकता है साहब ने उन्हें न समझाया हो, क्योकि माला पहनने मे आभार व्यक्त करें और पैर छूने वालो को आशीर्वाद देने जैसे मुश्किल कार्यो में सामंजस्य बिठाना कोई छोटे मोटे नेता की कूबत की बात नही है, ये कोई बड़ा नेता ही कर सकता है ।
और ये भी हो सकता है कि साहब ने अपने कार्यकर्ताओं को समझाया हो, अगर ऐसा है सवाल ये बनता है कि साहब अपने कार्यकर्ताओं को भी नही समझा पा रहे है तो आम लोगो को समझाना ओर मुश्किल होगा । क्योंकि जनता देख रही है , इस तमाशे को जहाँ आम आदमी को मास्क न लगाने पर आर्थिक जुर्माना और नियम तोड़ने पर धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही का सामना करना पड़ता है । वही सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश प्रमुख के इस स्वागत सत्कार को देखकर रतलाम का जनमानस खुद को ठगा हुआ महसूस न करे तो क्या करे ।
जो पार्टी “राष्ट्रहित सर्वोपरि” और “एक राष्ट्र एक कानून” जैसे नारे देकर लोगो के सामने खुद को प्रस्तुत कर उनसे उनकी सबसे ताकतवर चीज़ ( वोट ) ले लेती है । उसी पार्टी के लोगो के लिए रतलाम शहर ही नही देश के कई शहरों में भी दो कानून के उदाहरण खुद भाजपा के बड़े नेता प्रस्तुत करते है । जहां भाजपा के नेताओ के लिए अलग कानून (कोरोना गाइडलाइंस ) और जनता के लिए अलग कानून साफ नजर आता है ।
इसके बाद भी रतलाम शहर में सत्ताधारी पार्टी अपने कार्यक्रमो को लगातार संचालित कर रही है जहां न तो लोग ठीक से मास्क पहन रहे है और न ही सामाजिक दूरी कही नज़र आती है । ऐसे ही कार्यक्रम खुद रतलाम विधायक की उपस्थिति में होते है मगर विधायक जी तो भाषण देने लगते है जबकि प्रधानमंत्री जी नसिहत दे रहे है देश को । दुखद ये है ये लोग अपने प्रधानमंत्री की नही सुनते तो प्रशासन की क्या सुनेंगे ।
प्रशासन आज अपनी मुस्तैदी दिखा रहा है, कलेक्टर साहब और SP साहब पैदल और मैजिक में सफर करते हुए लोगो को ढूंढने निकल पड़े किस ने मास्क पहना है किसने नही । जिसने पहना है उसे शाबाशी दी जा रही है और जिसने नही पहना है उसपर कार्यवाही स्वरूप आर्थिक जुर्माना लगाया जा रहा है । लोगो की दुकानों पर कार्यवाही हो रही है । जो होना भी चाहिए । सवाल रह रह कर ये आता है कि आप ढूंढ रहे है कि कौन नियमो का पालन करता है कौन नही ।
जबकि भाजपा के नेता सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरे लगातार अपलोड कर रहे है, जिन तस्वीरों में न तो सामाजिक दूरी थी और न ही मास्क उपयोग ठीक से हुआ है । जनता नेताओ का अनुसरण करती है जब ये ही नेता खुद नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए दिखे तो इस महामारी के खिलाफ लडाई कमजोर होती है । ये सब प्रशासन के सामने होता है वो भी तब जब जिले में धारा 144 लगी हो, महामारी अधिनियम प्रभावी हो और सबसे बड़ी बात जिले के लगभग सभी बड़े अधिकारी उपस्थित हो ।
पिछली लहर में कोरोना के कारण जिन लोगो ने अपनो को खोया है उनके सामने जब ये तस्वीरे आती होगी, तो मन जरूर सवाल पूछेगा की सत्ता में बैठे लोगो को गुनाहगार न समझे तो क्या करे ।
विधायक जी जनता के बीमार होने के बाद इलाज करवाने से बेहतर है, जनता बीमारी से बचाव के लिए कार्य और परिश्रम किया जाए । आपके करोड़ो रूपये के संसाधन महत्वपूर्ण है, मगर आपकी ये तस्वीरें समाज के लिए घातक है । विधायक जी आपकी पार्टी और राजनीति सब समाज के आधीन है, जब आप और आपकी पार्टी समाज को गलत संदेश देंगे तो समाज आपको वही लौटाएगा जो आप से और आपकी पार्टी से मिला है ।