दोपहर 2 बजे भगवान श्री जगन्नाथ ,भाई श्री बलभद्र और बहन श्री सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में विराजित किया गया और रथ को क्षेत्र में भृमण करवा कर गंतव्य पर पहुँचाने के बाद आरती की गयी
रतलाम : इंडियामिक्स न्यूज़ जिले के सबसे प्राचीन भगवान श्री जगदीश मन्दिर, थावरिया बाजार से भगवान श्री जगन्नाथ को परम्परा के अनुसार रथ में विराजमान कर भृमण पर ले जाया गया। मगर इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते जग के नाथ का यह भृमण पूरे नगर में नहीं हो सका केवल प्रतीकात्मक रूप से मन्दिर क्षेत्र में ही रथ में विराजित हो कर भगवान निकले और 10 मिनट में फिर मन्दिर पर पहुँच गए।
रथयात्रा महोत्सव समिति के अध्यक्ष व पूर्व पार्षद मंगल लोढ़ा ने बताया की कोरोना संक्रमण के चलते हर साल धूमधाम से जो कार्यक्रम किये जाते थे इस बार वे नही हो सके। 27 सालो में यह पहला ऐसा मौका है जिसमे रथयात्रा नगर में नहीं निकली। कार्यक्रम में नियमो को ध्यान में रख कर भगवान श्री जगन्नाथ जी की प्रतीकात्मक रथयात्रा निकाली गई जिसमे आसपास क्षेत्र के भक्तगण व समिति के सदस्य ही सम्मिलित हुए।
आज सुबह 9 बजे मंत्रोच्चारण के साथ भगवान जगदीश का सहस्त्र धारा अभिषेक हुआ जिसके बाद दोपहर 12 बजे भगवान की प्रतिमाओं का श्रृंगार किया गया। दोपहर 2 बजे भगवान श्री जगन्नाथ ,भाई श्री बलभद्र और बहन श्री सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में विराजित किया गया और रथ को क्षेत्र में भृमण करवा कर गंतव्य पर पहुँचाने के बाद आरती की गयी। आरती के पश्चात भक्तो में केसरिया भात के प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर गोपाल शर्मा, विश्वमोहन लोढ़ा, मुन्नलाला शर्मा, मोहनलाल धबाई, सुरेन्द्र जोशी सहित क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
ऐसा है मन्दिर का इतिहास
थावरिया बाजार में स्थित भगवान जगदीश का यह मंदिर 345 साल पुराना है। जिसमे भगवान जगन्नाथ भय्या बलभद्र(बलराम) और बहन सुभद्रा की प्रतिमा विराजमान है। जिले का यह एकमात्र मन्दिर है जिसमे तीनो विराजित है। थावरिया बाजार का यह मन्दिर उड़ीसा में बने पूरी के विशाल जगन्नाथ मन्दिर का छोटा रूप है।
राज ज्योतिष पं. गोचर शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया की इस मंदिर का निर्माण रतलाम के तत्कालिक राजा रामसिंह चौहान ने अपने गुरु स्वामी श्री हरिहर पांडा की प्रेरणा से 1670-1675 में करवाया था। यह स्थापत्य कला का अत्यंत सुंदर उदाहरण है।