शहर में पिछले कुछ दिनो के भीतर ही खूनी संघर्ष की तीन बड़ी वारदात हो गई। तीनो घटनाओं का कारण अगर जानने की कोशिश की जाए तो वह एक समान निकलेगा।
रतलाम/इंडियामिक्स शहर का माहौल अभी कुछ समय से वारदात की घटनाओं से भरा नज़र आ रहा है। वर्चस्व व बदले की भावनाओं ने अब खूनी संघर्ष का रूप ले लिया है। पुलिस की कड़ी कार्यवाही के बावजूद कुछ आपराधिक तत्वों में अब कानून का ख़ौफ़ नहीं रहा है। रतलाम शहर अब गुंडों व आपराधिक तत्वों के लिए एक आयाम बनता जारहा है। देर रात व दिनदहाड़े होती मारपीट की इन घटनाओं से आम जनता में भय का माहौल भी देखा जाने लगा है।
शहर में पिछले कुछ दिनो के भीतर ही खूनी संघर्ष की तीन बड़ी वारदात हो गई। तीनो घटनाओं का कारण अगर जानने की कोशिश की जाए तो वह एक समान निकलेगा। वह कारण है वर्चस्व की लड़ाई। इन वर्चस्व की लड़ाई में पुलिस महकमे के फिलहाल हाथ पैर फूले नज़र आ रहे है। क्योंकि इन्हें रोकना बहुत जरूरी हो गया है। इन घटनाओं से मालूम पड़ता है की अपराधियो में अब कानून का डर नही रहा हो।
दरअसल रविवार के दोपहर में पहली वारदात साढ़े बारह बजे के लगभग औद्योगिक थाना क्षेत्र की पोर्श कॉलोनी कहलाने वाली काटजू नगर में चाकूबाजी की घटना हुई। इस घटना में वेदव्यास कॉलोनी का युवक आकाश घायल हुआ। यह हमला एक निजी नर्सिंग होम के सामने हुआ जहां पास ही एक ओर निजी अस्पताल भी है। पुलिस को दी गयी जानकारी में गम्भीर घायल युवक ने हमले का आरोप धीरज, रवि, अंकित, काशी, व संदीप पर लगाया। उसने यह भी बताया कि रात में उसके घर भी कुछ युवक धमकाने आये थे। सूत्र बताते है कि यह मामला भी रंगदारी व आपसी रंजिश का था। जिसमे मौका पा कर एक पक्ष ने दूसरे को घेरकर हमला किया।
वारदात की इस कड़ी में दूसरी बड़ी घटना रविवार रात शहर के त्रिपोलिया गेट पर हुई। जहाँ एक कांग्रेस नेता ने दूसरे कांग्रेस नेता के पुत्र व पूर्व सरपंच को खून से सरोबार कर दिया। कांग्रेस नेता संजय चौधरी ने साथियों के साथ त्रिपोलिया गेट पर शंकर राठौड़, पिंटू राठौड़, गोपाल पंवार आदि पर हमला किया व फरार हो गए। यह मामला इतना बड़ा था कि मौके पर घायल हुए व्यक्ति के समर्थकों के आक्रोश को देखते हुए एहतियात के तौर पर पुलिस फोर्स को भी तैनात करना पड़ा।
इस मामले में गम्भीर रूप से घायल शंकर के साथी गोपाल पंवार ने कांग्रेस के नेता संजय चौधरी, गौरव शर्मा, अज्जू बरमुण्डा, योगेश रेगर व साथियों पर आरोप लगाया गया है। पुलिस ने इन पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर मामले को जाँच में लिया है। वहीं इलाज के लिए शंकर को इंदौर रेफर किया गया।
यह मामला बड़ा दिलचस्प है।
सूत्र बताते हैं कि शंकर राठौड़ उसका भाई पिंटू राठौड़ व पिता जगदीश राठौड़ का अपने क्षेत्र में अच्छा खासा वर्चस्व है। इन्हीं के किसी समय मे अच्छे दोस्त रहे संजय चौधरी का भी इसी क्षेत्र में एक अच्छा नाम है। दोनों कांग्रेस की राजनीति के अहम नेता माने जाते है। कीन्ही कारणों से दोनों में धीरे धीरे रंजिशें गहराने लगी। जिसने एक समय मे संघर्ष का रूप ले लिया । पूरे मामले में दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली कहानी भी सामने आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ दिनों पहले लोकेंद्र टॉकीज पर हुई मारपीट में सुनील सूर्या व साथियों ने जिस पर हमला किया था वह अज्जू भी कल हमलवारों में शामिल था। बताया जाता है कि रंगदारी के कामो में सुनील व पिंटू राठौड़ की अच्छी तालमेल बैठती है। दिलचस्प बात यह है की जो अभी इनके सामने है वह किसी समय इन्ही के गुट के अहम हिस्सा हुआ करते थे। आपसी फूट में बिखरे इन दबंगो की कलह अब खूनी संघर्ष तथा बदले की राजनीति में तब्दील हो चुकी है। यह पूरी लड़ाई अपना अपना वर्चस्व बनाने व एक दूसरे को नीचा बताने की चल रही है।
तीसरी बड़ी वारदात सोमवार दोपहर तीन बजे के लगभग घटित हुई है। जिसमे कुछ समय पूर्व ही जमानत पर रिहा हुए विनोद उर्फ वीनू शर्मा व बलवंत सिंह उर्फ बल्ली पर दस से बारह युवकों ने हमला कर दिया। यह घटना शहर के सबसे व्यस्त गौशाला रोड़ पर हुई। हमले के वक्त वीनू और बल्ली दोनों दुकान पर थे। अचानक से आये युवकों ने पहले बाहर खड़े बल्ली पर हमला किया तथा बचाव करने आये वीनू पर भी टूट पड़े। दोनों गम्भीर घायलों को साथियों ने अस्पताल पहुँचाया। घायल वीनू व बल्ली ने इसका आरोप पिंटू टांक व उसके अन्य साथियों पर लगाया है। दरअसल हत्या की सुपारी देने के एक मामले में वीनू तथा बल्ली जेल में थे जिन्हें जमानत पर रिहा किया गया है। वहिं इसमे इनका साथी और मुख्य आरोपी दीपू टांक अभी भी जेल में ही है।
जिसके नाम की हत्या की सुपारी दीपू, वीनू और बल्ली द्वारा दी गयी थी, वह व्यक्ति पिंटू टांक था। इसलिए माना जा रहा है कि हमले के पीछे मुख्य कारण पुरानी रंजिश व बदले की भावना ही है।
माणक चौक पुलिस ने हमले में पिंटू टांक, अंकुर टांक, गोलू टांक, मोहित उर्फ बाबू व पवन पर प्रकरण दर्ज कर मामला जाँच में ले लिया है । हमले की सूचना पर इनके समर्थक भी अस्पताल में पहुंच चुके थे।
सूत्रों की माने तो यह मामला काफी लंबा है। जो दो भाइयों के बीच का है। यहाँ दीपू टांक व पिंटू टांक आपस मे चचेरे भाई है। दोनों का ब्याज से रुपये चलाने का काम है। इनके आपस के झगड़े इतने बढ़ गए की एक ने दूसरे की सुपारी की योजना बना ली। इस योजना में दीपू टांक ने पिंटू टांक के नाम की सुपारी दी।
जो व्यक्ति काम को अंजाम देने वाला था, उसके साथ पहले पिंटू टांक ने मारपीट की थी, इसलिए इस काम के लिए इसे चुना गया। मगर आख़री वक्त पर उसने यह सारी बात जा कर पुलिस को बता दी जिससे दीपू टांक, बलवंत उर्फ बल्ली तथा वीनू पर मामला दर्ज हुआ। इसके बाद पुलिस ने दीपू टाक की परतें खोली तो ब्याज का बड़ा अवैध कारोबार सामने आया। यह मामला भी अच्छा खासा लम्बा चला था। इसमे भी दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली पॉलिसी खेली गई। मगर यहां बात भाई-भाई के आपसी वर्चस्व की है। जहां दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे बन चुके हैं। भाइयो के आपस का यह विवाद रतलाम शहर में अब भी चर्चा में बना हुआ है।
अब बात शहर की शांति व्यवस्था की, कि जाए तो रतलाम में पुराने गुटो से नए गुटो का जन्म हो चुका है जो अपना शहर में वर्चस्व जमाने मे जुट गए है। इसी के चलते शहर में आये दिन चाकूबाजी व मारपीट होना शुरू हो गया है।
रतलाम पुलिस के लिए अब कुछ महीनों में सामने आये इन गुटो के आपसी वर्चस्व की लड़ाई को रोक पाना एक चुनोती का रूप लेता जा रहा है। जानकारी के अनुसार अवैध कारोबार के चलते इन गुटो का जन्म हुआ है, तो एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या शहर में अवैध कामो को लेकर इतनी उपलब्धता है व वातावरण है कि आये दिन नये नये गुट सामने आ रहे हैं और खूनी संघर्षों को अंजाम दे रहे हैं।
शहर में आम जन की सुरक्षा की जिम्मेवार रतलाम पुलिस आख़िर कैसे इन मामलों से निपटेगी ? लगातार होती इन घटनाओं से शहर में शांति व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प नजर आती है।
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