मध्यप्रदेश में शुक्रवार को हुई राजनीतिक नियुक्तियों में 25 लोगो को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया गया, जिनमे से कांग्रेस से आये नेताओ के साथ भाजपा संगठन के लोगो का दबदबा साफ देखने को मिलता है ।
भोपाल/इंडियामिक्स मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 25 राजनीतिक नियुक्तिया की गई जिनमे निगम, विभागों और बोर्डो में 16 अध्यक्ष और 9 उपाध्यक्ष की नियुक्ति की गई । सूची की खास बात ये रही कि इसमें भी सिंधिया गुट को खासी तवज्जो मिली है । भाजपा की सरकार बनवाने के ईमान के तौर पर अभी तक सिंधिया गुट पर इनामो की बौछार हो रही है । उनके लोगो और कार्यकर्ताओं को भाजपा वो सब दे रही है जो उन्होंने उम्मीद की होगी । सूची को देखकर लगता है इसमें सभी वर्गों के लोगो को साधने की कोशिश भी की गई है । शिवराज के करीबी लोगों को भी सूची में खासा स्थान मिला है । इन सब के साथ संघ और संगठन के लोगो को भी मौका मिला है ।
जिन लोगो को सूची में स्थान मिला है उनमें सिंधिया गुट के 5 नेता इमारती देवी, गिरिराज दंडोतिया, मुन्नालाल गोयल, जसवंत जाटव और रघुराज कंसाना के नाम है । वही शिवराज गुट के 6 नेता एंदल कंसाना, राजकुमार कुशवाहा, मंजू दादू, रणवीर जाटव, सावन सोनकर और आशुतोष तिवारी के नाम है । वही आरएसएस से तीन नाम जयपाल चावड़ा, शैलेन्द्र बरुआ और जितेंद्र लटोरिया के है । भाजपा संगठन से प्रह्लाद भारती, निर्मला बारेला, अमिता चपरा, राजेश अग्रवाल, रमेश खटीक और अजय यादव है । वही विनोद गोटिया भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के समर्थक माने जाते है । शैलेन्द्र शर्मा को उमा भारती और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की पसंद माना जा रहा है । नरेंद्र बिरथरे उमा भारती गुट के नेता है । नरेंद्र तोमर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे का माना जाता है । एक ओर नाम राजेंद्र सिंह मोकलपुर को भूपेंद्र सिंह गुट का जाना जाता है ।
इन सब नेताओ में खास बात ये है कि सिंधिया खेमे के पांचों नेताओ को अध्यक्ष बनाया गया है ।
इस सुची में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता के हाथ मायूसी लगी है । वही ये सूची क्षेत्रीय समीकरण बनाती हुई नजर नही आती इस सूची में ग्वालियर और भोपाल को खासी तवज्जो मिलती दिख रही है । वही मालवा, निमाड़ को सही प्रतिनिधित्व नही मिला है । जबकि रतलाम जिले से पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी, पूर्व विधायक संगीता चारेल, नीमच जिले से बंशीलाल गुर्जर, धार जिले से पूर्व मंत्री रंजना बघेल, खंडवा जिले से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, इंदौर से जीतू जिराती और मधु वर्मा, उज्जैन से पूर्व सांसद चिंतामन मालवीय आदि दर्जनों ऐसे नेता है जो पार्टी और संगठन से आस लगाए हुए थे ।
सिंधिया खेमे की स्तिथि लगातार भाजपा में मजबूत होती देख कई भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं में असंतोष साफ नजर आता है । क्योंकि सिंधिया गुट की राजनीतिक हिस्सेदारी से उनके हक़ों पर कही न कही वज्रपात हुआ है । खैर भाजपा के लिए अपने पुराने नेताओ और कार्यकर्ताओं से सामंजस्य बिठाना टेडी खीर साबित हो सकता है । आने वाले विधानसभा चुनाव में सिंधिया गुट को अगर ऐसे ही तवज्जो मिलती रही तो भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं में गहरा असंतोष जरूर पैदा होगा ।
इन राजनीतिक नियुक्तियों से आने वाले विधानसभा चुनाव के समीकरण में परिवर्तन या कुछ बड़ा होने की संभावनाएं बनती नज़र आएगी । जिसके परिणाम स्वरूप हम कई भाजपा के बड़े और वरिष्ठ नेताओ के साथ कार्यकर्ताओं को कांग्रेस में जाते हुये देख सकते है । आखिर में राजनीति इतनी आसान होती नही है जितनी सहज लोग मान लेते है । कहीं न कहीं कांग्रेस की पैनी नज़र इस घटनाक्रम पर जरूर बनी रहेगी ।