इन दिनों देवास जिले की कृषि उपज मंडीयो में भी किसान बड़ी संख्या में उपज लेकर पहुंच रहे हैं। किसान अब अंतिम दौर में किसी तरह भी अपनी उपज बेचना चाहता है।
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देवास इंडियामिक्स न्यूज़ । इन दिनों देवास जिले की कृषि उपज मंडीयो में भी किसान बड़ी संख्या में उपज लेकर पहुंच रहे हैं। किसान अब अंतिम दौर में किसी तरह भी अपनी उपज बेचना चाहता है। चना व गेहूं मिलाकर मंडी में करीब 70 हजार मैट्रिक टन की खरीदी अब तक हो चुकी है। हालाकि बड़़ी संख्या में किसान गेहूं बेचने के लिए ही आ रहे हैं। इस बार नीलामी नहीं होने से किसान सौदा पत्रक के माध्यम से अपनी उपज को मंडी में बेच रहे हैं ।
मंडी सचिव ओपी शर्मा के अनुसार रोजाना 25 से 30 हजार बोरी की आवक मंडी में हो रही है। हालाकि मंडी में परेशानी को लेकर भारतीय किसान संघ की कुछ आपत्तियां भी हैं। इसे लेकर भारतीय किसान संघ के नेता जगदीश नागर शनिवार को मंडी कार्यालय भी पहुंचे व अपनी शिकायत दर्ज कराई, साथ ही ऊपर के अधिकारियों को भी शिकायत पहुंचाई। नागर के अनुसार मंडी में प्रति बोरी 10 रुपए व्यापारी काट रहे हैं व किसानों को दिए बिल मेंइसका उल्लेख भी नहीं कर रहे हैं। साथ ही नागर ने बताया कि आरटीजीएस के माध्यम से किसानों को भुगतान में भी 7 से 8 दिन की देरी हो रही है। हालाकि प्रति बोरी 10 रुपए काटे जाने की किसी भी शिकायत से मंडी सचिव ने इंकार किया है साथ ही आरटीजीएस के माध्यम से हर दूसरे व तीसरे दिन भुगतान किए जाने की बात कही।
अगले माह शुरू हो सकती है नीलामी ।
अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले माह से मंडी में फिर से नीलामी के माध्यम से किसान अपनी उपज को बेच सकेंगे। इसके संकेत प्रशासन के अफसरों ने भी दिए हैं। अगर ऐसा होगा तो इससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी मंडी में रोजाना किसानों की 25 से 30 हजार बोरी जरूर आ रही है लेकिन किसान को भाव उम्मीद के अनुसार नहीं मिल रहे हैं। मंडी में प्रतिदिन 500 से 700 वाहन से किसान अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं। सौदा पत्रक के आधार पर हो रही खरीदी में किसानों को भाव नहीं मिल रहे हैं। किसानों को न्यूनतम 1725 रुपए प्रति क्विंटल का ही भाव दिया जा रहा है जबकि समर्थन मूल्य में इससे कही ज्यादा 1925 रुपए के भाव में किसानों से उनकी उपज की खरीदी की जा रही हैं। वर्तमान में तीन स्थानों उपार्जन केंद्र, सौदा पत्रक से व्यापारियों के गोदामों व कृषि उपज मंडी में गेहूं की खरीदी की जा रही है, लेकिन उपार्जन केंद्र छोड़ दे तो मंडी व व्यापारियों के गोदामों में किसानों को गेहूं का सही भाव नहीं मिल पा रहा है। जिन किसानों के गेहूं की क्वालिटी बेहतर होती है वह किसान अपनी उपज बेचने मंडी व व्यापारियों के गोदाम पहुंचता है लेकिन किसानों को मंडी प्रबंधन क्वालिटी के हिसाब से अच्छा भाव नहीं दिला पा रहा है। किसानों का कहना है कि वह इस उम्मीद से मंडी व व्यापारियों के पास पहुंच रहे है कि उनके गेहूं की क्वालिटी अच्छी है फिर भी भाव कम मिल रहा है।
खरीदी स्थल नहीं पहुंचते मंडी कर्मचारी ।
व्यापारी अपने गोदाम व वेयर हाउस में किसान के गेहूं की खरीदी कर सकता हैं। मंडी बोर्ड ने नियम बनाया है कि किसान की सहमति व सौदा पत्रक के आधार पर व्यापारी मॉडल रेट के आधार पर यह खरीदी करेगा, लेकिन इन स्थानों पर मंडी के अधिकारी व कर्मचारी अपनी नजर बनाकर नहीं रखते हैं। मंडी कर्मचारियों के व्यापारियों के गोदामों पर जांच करने नहीं पहुंचने से बिना सौदा पत्रक के भी खरीदी की जा रही है जिसकी जांच नहीं हो पा रही है।
राजस्व की हो रही लगातार चोरी ।
व्यापारियों द्वारा खरीदी करने पर मंडी प्रबंधन को डेढ़ प्रतिशत मंडी राजस्व मिलता है वर्तमान में सौदा पत्रक के हिसाब से ही व्यापारी राजस्व का भुगतान मंडी बोर्ड को कर रहे है। सौदा पत्रक के द्वारा खरीदी होने पर राजस्व चोरी के मामले भी लगातार बढ़ रहे है। व्यापारी सीधी खरीदी कर अपने गोदामों में पहुंचा रहे हैं, जिन गोदामों की जानकारी मंडी बोर्ड को नहीं होती है। गोदामों व वेयर हाउस की जांच करने के लिए वर्तमान में कोई भी टीम गठित नहीं हुई है न ही उडऩदस्ता कोई कार्य कर रहा है।