यहाँ Caste Factor तय करता है कि कौन विधायक बनेगा ? यहीं कारण की पिछले चार चुनाव से यहाँ भाजपा सोंधिया और यादव बिरादरी को टिकट दे रही है जबकि कांग्रेस दांगी को
विधानसभा क्षेत्रः ब्यावरा राजगढ़ जिले की सभी विधानसभा सीटों में से सर्वाधिक हाईप्रोफाइल है। यहाँ से जिले भर का राजनितिक वातावरण तय होता है। यहाँ अब तक हुए चुनावों के परिणाम को देखा जाये तो यहाँ मतदाताओं का स्थाई रूख देखने को नहीं मिलता है, वो कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के साथ जाते हुए दिखाई देतें हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में यहाँ भाजपा के प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक नारायणसिंह पंवार को हराकर कांग्रेस के गोवर्धन दांगी ने जीत हासिल की थी लेकिन कोरोना से इनकी असमय मृत्यु हो गई जिसके कारण हुए उपचुनावों में सहानुभूति की लहर पर सवार हो कर रामचन्द्र दांगी ने पुनः नारायणसिंह को हराकर सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा। लेकिन इस बार मामला फंसा हुआ है, जनता का रूख क्षेत्र में स्पष्ट नहीं है, हालांकि भाजपा-कांग्रेस दोनों के द्वारा धरातल पर मेहनत की जा रही है लेकिन अंतिम प्रत्याशी चयन ही यहाँ चुनाव का रूख तय करेगा।
क्षेत्र की वर्तमान राजनितिक वस्तुस्थिति:
वर्तमान विधायक – रामचंद्र दांगी, पार्टी – कांग्रेस, 2020 में उपचुनाव जीत कर पहली बार बने हैं विधायक।
उपचुनाव में इन्हें मिले वोट – 95397, भाजपा प्रत्याशी को मिले वोट – 83295, हार-जीत का अंतर – 12102
पिछले पांच चुनावों में कौन बना विधायक:
2020 – कांग्रेस के रामचंद्र दांगी भाजपा के नारायण सिंह पंवार को 12102 वोटों से हरा कर पहली बार विधायक बने
2018 – कांग्रेस के गोवर्धन सिंह दांगी भाजपा के नारायण सिंह पंवार को मात्र 826 वोटों से हराकर चुनाव जीत सकें
2013 – भाजपा के नारायण सिंह पंवार ने कांग्रेस के रामचन्द्र दांगी को 3088 वोटों से हरा चुनाव जीता था
2008 – कांग्रेस के पुरुषोत्तम दांगी ने भाजपा के बद्रीलाल यादव को 13444 वोटों से हरा कर चुनाव जीता था
2003 – भाजपा के बद्रीलाल यादव ने कांग्रेस के रामचन्द्र दांगी को 4919 वोटों से हराकर चुनाव जीता था
जाति है डिसाइडिंग फेक्टर:
इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव अक्सर घूमफिर के जाति के मुद्दे पे आ जाता है, अक्सर उम्मीदवार की जाति ही यहाँ उसकी हार-जीत तय करती है। यही कारण है की यहाँ दोनों प्रमुख दल जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर के अपना उम्मीदवार तय करतें हैं। यहाँ मुख्यतः दांगी, सोंधिया,यादव,गुर्जर,लोधा तथा लोधी मतदाता जीत-हार तय करतें हैं,इनकी संख्या क्षेत्र में लगभग 75% है इसके बाद अन्य जातियों – अनुसूचित जाति,अनसूचित जनजाति, ब्राह्मण, राजपूत, आदि का हिस्सा है। कांग्रेस यहाँ दांगी समाज से टिकट देती है वहीँ भाजपा सोंधिया एवं यादव के बीच स्विच करती है, जिसका उसे लाभ भी मिलता है। वैसे देखा जाए तो कांग्रेस का जातिगत गणित यहाँ भाजपा के मुकाबले मजबूत है जो उसे हल्का सा एज दे रहा है। यहाँ दांगी समाज के 35 हजार से अधिक और सोधिया समाज के 30 हजार से अधिक मतदाता है यही कारण है की दोनों पार्टियाँ क्षेत्र में इन दोनों जातियों के नेताओं पर आश्रित है। इसके बाद यहाँ यादव समाज सबसे बड़ा मतदाता समूह है जिसके 20-25 हजार मत हैं।
यह है क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे:
विधानसभा क्षेत्र में पेयजल 30-35 वर्षों से मुख्य समस्या है, आसपास बड़े-बड़े बांध होने के उपरान्त भी यहाँ 5-7 दिनों में पानी की सप्लाई होती है, ट्रैफिक जाम भी यहाँ बड़ी समस्या के रूप में उभरा है । आवारा मवेशी, सब्जी भाजी, फल फ्रूट एवं अन्य सामानों के हाथ ठेले, अव्यवस्थित पार्किंग के कारण यह समस्या और बड़ी है । बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है साथ ही जातिवाद भी एक समस्या है जिसके कारण यहाँ का चुनाव प्रभावित होता है। क्षेत्र में न कोई फेक्ट्री है ना ही रोजगार का साधन।