इस नाम पर लग सकती है जिलाध्यक्ष की मोहर ?, रतलाम के युवा नेताओं में सरगर्मी तेज, जल्द हो सकती है घोषणा, मंत्री मण्डल और प्रदेश संगठन की लॉबी में कोई अहम पद रतलाम के पास नहीं ग्रामीण के समीकरणों को क्या बिगड़ने से बचा पाएगी भाजपा ?
इंडियामिक्स ( जयदीप गुर्जर ) : रतलाम में सुस्त पड़े राजीनीतिक गलियारे एक बार फिर जाग उठे हैं। कुछ समय से रतलाम की राजनीति की जबरदस्त दौड़ विधायकी या सांसद को लेकर नहीं बल्कि युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष की हो रही है। हर कोई युवा नेता इस समय अपने जैक जरिए लगाने की जुगाड़ में रतलाम – भोपाल एक कर रहा है। इस पूरे मसले में जिला अध्यक्ष के युवा दावेदार इतनी ताकत झोंक देते है की देखने वाला व समझने वाला भरपूर आनंद लेता है।
सूत्रों की माने तो प्रदेश की हाईकमान ने दो से तीन दिन के भीतर हर जिले से पुरानी पैनल के नामो पर भी एक नई पैनल के नाम की सूची माँगी है। पहले जो पद की लड़ाई चार लोगो में थी अब वह शायद सात लोगो में बदल जाये। इसके बाद रतलाम युवा मोर्चा की जिलाध्यक्ष की दावेदारी का मुकाबला अब ओर तगड़ा हो जाएगा। लगभग माह के अंत तक नामो की घोषणा के आसार तय है।
भाजपा के भोपाल मुख्यालय में भी रतलाम के युवा मोर्चा अध्यक्ष की चर्चाएं चलती रहती है। उनका भी ऐसा मानना है कि युवा मोर्चा की दावेदारी का जैसा रोमांच रतलाम में है वैसा कहीं नहीं।
इन सब के बीच एक बड़ा पेंच प्रदेश की हाईकमान ने फसाया है। जिसमे साफ कर दिया है कि युवा मोर्चा का अध्यक्ष उम्र में 30 का आकंड़ा ना पार कर रहा हो। दावेदारों की दौड़ की सीमा को 30 पर ला कर खत्म करके कई हद तक विजन अब क्लीयर हो चुका है। अगर संगठन सच मे इस नियम को पहली प्राथमिकता देता है तो रतलाम के संभावित उम्मीदवारों में से कुछ के सपने यही टूट जाएंगे ।
रतलाम में अब तक इस दौड़ के चर्चित चेहरों का जिक्र करे तो उनमें पहला नाम आता है राहुल उपमन्यु जो कि जावरा से है। दूसरा नाम शुभम गुर्जर, जो कि रतलाम ग्रामीण से है। तीसरा है, विप्लव जैन जो कि रतलाम नगर से है। चौथा नाम है स्नेहिल उपाध्याय, यह भी नगर से है। पांचवा नाम है जुबिन जैन, यह भी नगर से है। एक उड़ता हुआ नाम आशीष सोनी भी इस समय चर्चा में है। अब जो पुरानी पैनल है उसमें केवल चार नाम शामिल थे। अब नई पैनल में जो नाम जाएँगे वह इस युवा मोर्चा की कहानी का दिलचस्प हिस्सा होगा।
इन सभी नामो पर चर्चा करने से पहले यह जान लेना भी जरूरी है कि वर्तमान में प्रदेश की शिवराज सरकार ओबीसी को विशेष दर्जा देने में लगी है। ऐसे में रतलाम की बात करे तो यहाँ वर्ग के हिसाब से समीकरण बैठाए जाएं तो पूरी सम्भावना है कि दावेदार पिछड़ा वर्ग से हो। इसका एक कारण यह भी है की रतलाम जिले की बॉडी में सामान्य वर्ग व SC – ST वर्ग को भरपूर रूप से ऊपर रखा गया है। जिसमे विधायक हो या सांसद हो इसके बाद जिला बॉडी में अध्यक्ष, महामंत्री, जैसे प्रमुख पद हो। इन सभी पर मोटे तौर पर यह दो सामान्य व दलित वर्ग ही विराजमान है। ऐसे में एक बार फिर बड़ा पद युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष का पिछड़ा वर्ग की झोली में आ सकता है और कहीं ना कहीं वर्गीय समीकरण बिठाने के लिए यह जरूरी भी है। अगर ऐसा होता है तो वर्गीय के साथ ही क्षेत्रीय समीकरण अपने आप बैठ जाने के आसार इसमे दिखाई दे रहे हैं। रतलाम ग्रामीण को खुश करने की पूरी इच्छा कहीं ना कहीं जिला लॉबी की इस बार है।
दिए गए नामो पर चर्चा करे तो राहुल उपमन्यु एक मिलनसार शख्सियत है। राजनीति में पुरानी सक्रियता है। जावरा विधायक राजेन्द्र पांडे का हाथ हमेशा सर पर रहा है। राहुल बोलने में अच्छे वक्ता है और संगठन की पूरी समझ रखते है। राहुल प्रदेश की राजनीति में भी लंबे समय से सक्रिय है। अपनी चतुरता से सभी बड़े पदाधिकारीयो के बीच मधुर सम्बन्ध बनाये हुए है। क्षेत्रीय समीकरण बैठाने के लिए राहुल पहली पसंद माने जाते है।
रतलाम ग्रामीण से शुभम गुर्जर की बात करे तो राजनीति में सक्रियता कुछ समय से शुरू हुई है। ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना व जिलाध्यक्ष लूनेरा इन पर अच्छा ध्यान दे रहे है। समाजिक पृष्टभूमि से भाजपा में कदम रखा है। किन्ही पेचीदा दो नामो के बीच अगर रास्ता निकाला जाएगा तो, इन्हें चुना जा सकता है। शुभम एक तीर से दो निशाने साधने वाला नाम है। शुभम के जरिए वर्गीय व क्षेत्रीय समीकरण को हल किया जा सकेगा।
सो प्रतिशत सम्भावना है की नई पैनल में पहला नाम विप्लव जैन का है। अगर बात विप्लव जैन पर करे तो विप्लव पिता के कंधे पर बैठ राजनीति के मेले का भरपूर आनंद उठा रहे है। ठोस आधार इनके पिता कमल जैन है। बड़े बड़े नेताओं व मंचो को आसानी से साझा करने में सक्षम है। पिछली बार की दौड़ से बाहर हुए थे इस बार भी उम्मीद लगाए हुए है। इनका प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से सीधा संपर्क बहुत कुछ बदल सकता है। इस बार की दावेदारी में बाजी पलटने में उस्ताद बन सकते है। क्योकि नाम फिर मांगे गए है।
भाजपा के स्नेहिल उपाध्याय को जमीनी स्तर का कार्यकर्ता कहने में कोई हर्ज नहीं है। कोई बड़ा नेता सीधे संपर्क में नहीं है। स्नेहिल के सबसे करीबी पूर्व निगम अध्यक्ष अशोक पोरवाल व विधायक चैतन्य कश्यप है। युवाओ पर खास कोई गहरा प्रभाव इनकी छवि में नहीं है। इनके लिए जोर आजमाइश अशोक पोरवाल के जिम्मे है। अशोक पोरवाल इस समय प्रदेश कार्यसमिति में है और पूर्व युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके है। अशोक राजनीति में चाणक्य के नियमो का बखूबी उपयोग करते है। स्नेहिल के लिए कब क्या दांव फिट कर दे यह तो भगवान ही जाने।
बात अब करते हैं जुबिन जेन की। जुबिन की पृष्ठभूमि व्यापारिक रही है। हँसमुख व मिलनसार नेता है। इंदौर के टाइगर कैलाश विजयवर्गीय के साध सीधा संपर्क इनकी मजबूती को बताता है। जीतू जिराती के लिए भी यह बेहद खास है। मगर पिछली बार पक्के दावेदार माने जा रहे यह महाशय भी दौड़ से बाहर हो गए थे। फिलहाल जुबिन जेन की पारी को कौन व कैसे टेका लगाएगा यह देखने वाली बात होगी। क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर्दे के पीछे से युवा मोर्चा पर पूरा कंट्रोल कर रहे है। और इस समय शर्मा जी अलग ही मुड़ में है।
एक अन्य नाम जो कि नई पैनल में जा सकता है वह है रतलाम के आशीष सोनी का। हिन्दू नेता की छवि वाले आशीष सीधे युवाओ से जुड़े है। बजरंगदल से जुड़े हो कर भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री बनकर आये। अपनी कट्टर छवि से युवाओ की पसंद बने है। मगर संतुलन नहीं बैठने से कहीं ना कहीं यह रेस से बाहर भी हो सकते है। जमीनी स्तर का कार्यकर्ता कहा जा सकता है। संघ में गहरी पैठ कहीं ना कहीं इन्हें फायदा दे सकती है।
इतनी बातों के बीच अब दिलचस्प यह देखना होगा की अगर उम्र का बंधन रखा जाता है तो, सीधे सीधे इस दौड़ से चार नाम स्वतः ही बाहर हो जाएंगे। इन चार नामो में जुबिन जैन, स्नेहिल उपाध्याय, राहुल उपमन्यु व आशीष सोनी है। अब बचेंगे केवल दो नाम विप्लव जैन और शुभम गुर्जर।
नई पैनल में विप्लव सहित तीन नाम जाने तय है। तो यह मुकाबला सात दावेदारों के बीच या पाँच दावेदारों के बीच खेला जाएगा।
आप सभी की जानकारी के लिए बताना चाहते है की प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा एबीवीपी से भाजपा में आए। इनसे पहले अरविंद भदौरिया जो की शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इन्ही के बाद का उदाहरण युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष वैभव पँवार है।
और अब ताजा उदाहरण भाजपा के दो ऐसे संगठन मंत्री है जो की मंत्री का दर्जा प्राप्त करने की कतार में है। इनमे जबलपुर व होशंगाबाद संभाग के शैलेंद्र बरुआ और उज्जैन संभाग के जितेंद्र लिटोरिया शामिल है। दोनों ही 100 प्रतिशत शुद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता हैं और वी डी शर्मा की तरह ही आरएसएस की पहली पसंद भी है।
लिस्ट काफी लंबी है लेकिन कम शब्दों में कहें तो भारतीय जनता पार्टी और शिवराज सिंह सरकार के कई प्रमुख पदों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता पदस्थ हैं। शायद इसलिए भी आरएसएस इन्हें भाजपा में लाना पसन्द कर रहा है क्योंकि इनके की तुलना में ग्राउंड जीरो का ज्यादा एक्सपीरियंस किसी ओर को नहीं है।
कयास यह भी लगाए जा रहे है कि रतलाम सहित कई जिलों में वीडी शर्मा के समय की विद्यार्थी परिषद की लॉबी को महत्व दिया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो रतलाम की राजनीति में युवा दावेदारों को एक बड़ा झटका देखने को मिलेगा वहीं एबीवीपी की कार्य क्षमता दुगनी हो जाएगी। फिलहाल पूरी उम्मीद है कि युवा मोर्चा रतलाम में वर्गीय समीकरण और क्षेत्रीय समीकरण के संतुलन पर ध्यान दिया जाएगा।
मालवा और प्रदेश की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाले रतलाम से वैभव पँवार की लॉबी में एक भी युवा दावेदार का नहिं होना कहीं ना कहीं बताता है की, क्या रतलाम में प्रदेश के लायक युवा नेता की कमी है या आपसी कलह के मजे कोई ओर ले जा रहा है? ख़ेर युवा मोर्चा के इस मुकाबले का मजा लीजिए।