शहर में उद्योग क्रांति लाने से पहले होना होगा सावधान, शहर में घुलता विष कहीं आपके घर तक तो नहीं आ रहा ? कलेक्टर भी ले चुके अब संज्ञान, बस अब नब्ज़ टटोलना बाकी है
रतलाम/इंडियामिक्स : शहर में बढ़ते जल प्रदूषण से हर कोई वाकिफ़ नहीं है। मग़र जल प्रदूषित हो रहा है जिसका सीधा सा असर बरसात के मौसम में देखने को मिल जाता है। जब क्षेत्र के कुछ हिस्सों के नलों में लाल या मटमैला पानी आता है, तो जिम्मेदार इसे वैज्ञानिक या यूं कहें की समझदारों की भाषा मे मीडिया व लोगो को समझाते है की बारिश में टर्बीडिटी बढ़ जाने से ऐसा होता है। टर्बीडिटी का मतलब पानी मे मिट्टी घुल जाने से होता है। जिस कारण पानी मटमैला हो जाता है। मग़र बारिश में शहर के पानी के गंदा होना का कारण कहीं ओर से ही पैदा होता नजर आता है। शहर की आबो हवा में भी कई ऐसे विषैले लोग मील हैं जो अपने प्रभाव से शहर में गन्ध व विष फैलाने का काम तेजी से कर रहे है। जिनका कार्य अतरंगी तरीके से पर्दे के पीछे से चल रहा है और पर्दे के पीछे के कलाकार यहाँ से वहाँ तक फैले है। जिनकी साँठ गाँठ का नतीजा जनता को अप्रत्यक्ष रूप से भोगना पड़ रहा है। जब यह प्रत्यक्ष होगा तब त्राहिमाम मचना शुरू होगा व कई लोग भौचक्के रहेंगे साथ ही कईयों की पोल भी खुलेगी। इस पर एक बड़ी पड़ताल हम सबके सामने जल्द ही लाएँगे। औद्योगिक क्रांति में शहर को आगे बढ़ने से पहले इस विषय पर जिम्मदारो को सोचना व समझना जरूरी है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती आबादी, तीव्र औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण में लगातार हो रही वृद्धि से जल प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। हर वर्ष लाखों लोग, अधिकतर बच्चे, अपर्याप्त जल आपूर्ति और स्वच्छता की कमी से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से मरते हैं। अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की एक-चौथाई आबादी संभवतः उन देशों में रहेगी, जहां पानी की गंभीर और बार-बार कमी रहेगी। 1990 से ढाई अरब लोगों को बेहतर पेयजल सुलभ हुआ है, लेकिन अब भी 66.3 करोड़ लोग उससे वंचित हैं। उद्योगो से निकलने वाला हानिकारक रसायन जिसे प्रवाहित करना पूर्णतः प्रतिबंधित किया हुआ है। मगर फिर भी यह प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। जल प्रदूषण सबसे ज्यादा प्रदूषित, उद्योगों से निकलने वाले कचरे से हो रहा हैं। जो मानव के साथ ही जीव जंतुओं के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो रहा है।