बुधवार को GMC में 25 के लगभग मौतो का कारण अब भी “लापता” ?, आख़िर क्यो हुई इसी दिन इतनी मौत ? कारण “बीमारी या लापरवाही” ?, अधिकारी मौन, देखे वीडियो
रतलाम IMN : कोरोना कहर लगातार देश में अपनी क्रूरता बरसा रहा है। जिसके शिकंजे में मध्यप्रदेश के साथ अपना शहर रतलाम भी फंसा हुआ है। ऑक्सीजन, रेमेडिसिविर इन्जेक्शन की कमी के साथ अस्पतालों में कोरोना के बिस्तरों की कमी के समाचारों के कारण अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। विकराल रूप से बह रही कोरोना की लहर के आगोश में रतलाम और आसपास के जिले भी अब जब्त होते दिखाई दे रहें हैं। पिछले कई दिनों से संक्रमितों के साथ कोरोना के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
बुधवार को रतलाम ने कोरोना की भयावहता का सबसे भयानक नजारा देखा जब भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्तिधाम में लगभग 25 मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया। कोरोना की पिछली लहर में शहर ने इतनी चिताओं को एक साथ जलते नहीं देखा था। सूत्रों के माध्यम से जब इस दिल को झकझोरने वाली खबर का पता चला तो हमारे रिपोर्टर मौके पर पंहुचें।
मुक्तिधाम का नजारा दिल को दहला देने वाला था। मृतकों के परिजनों के दुःख को देखकर किसी भी इंसान का दिल पसीज जाये, उदासी व दुःख से भरा मुक्तिधाम का माहौल कोरोना के विकराल काल स्वरूप की व्याख्या मानों खुद कर रहा था। अचानक क्षमता से अधिक शवों के पँहुचने के कारण मुक्तिधाम की व्यवस्था भी हिल गई। गई शवों का अंतिम संस्कार श्मशान के बाहर करना पड़ेगा। कोरोना रूपी काल का ग्रास बने इन पार्थिव शरीरों को स्टैंड की छाव में शांति से अंतिम विदाई भी नसीब नहीं हुई।
पालीथिन में पैक अपनों के शवों को देख परिजन वहाँ बिलख रहें थें। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत परिजन अपनों के शवों को छू भी नहीं पा रहें थें। एक 12 वर्ष के बालक द्वारा अपने दादा को मुखाग्नि दी। मुक्तिधाम पे हमारे रिपोर्टर ने कोरोना की भयावहता का वो मंजर देखा जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मुक्तिधाम में एक दिन में अचानक पँहुचे इतने शवों ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी।
नाम न बताने की शर्त पर मुक्तिधाम के कर्मचारी ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि कोरोना के संक्रमितों तथा संदिग्धों की अंतिम क्रिया के लिये आरक्षित इस शमसान में आमतौर पर मेडिकल कॉलेज से औसतन 8-10 शव आतें हैं लेकिन बुधवार को लगभग 25 शव पँहुचे, जो कि यहाँ के कर्मचारियों के अनुसार भी डरावना व दर्दनाक अनुभव रहा।
मुक्तिधाम के कर्मचारियों ने यह भी बताया कि यहां कोरोना संक्रमितों के अलावा उन मरीजों का भी अंतिम संस्कार किया जाता है जिनका कोरोना संदिग्ध मान के इलाज किया जा रहा था लेकिन कोरोना रिपोर्ट आने से पहले उनकी मृत्यु होने के कारण उनका दाह संस्कार भी यहां कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार किया जाता है।
कोरोना संक्रमितों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित इस मुक्तिधाम में भी अव्यवस्थाओं का बोलबाला दिखा। यहाँ उपयोग में ली हुई PPE किट्स इधर-उधर रखी मिली, जिस पर मुक्तिधाम के कर्मचारी ने कहा कि इनको यहाँ इकट्ठा करने के बाद बाद में हटाया जाता है जो कि संक्रमण के इस दौर को देखते हुये गंभीर लापरवाही है। मुक्तिधाम के सेनेटाइजेशन का काम भी नियमित नहीं हो रहा है जबकि इस स्थान के महत्व व संवेदनशीलता को देखते हुये यहाँ दिन में कम से एक बार सेनेटाइजेशन का काम रोज होना चाहिये।
इस मुक्तिधाम में कोरोना संक्रमित अथवा संदिग्ध के अलावा सामान्य मृत्यु से मरने वालों का अंतिम संस्कार भी किया जाता है, जो कि एक तरह से गलत है। इस विषय पर यहां के कर्मचारियों का कहना है कि क्षेत्रवासियों को कैसे मना कर सकतें हैं ?
मुक्तिधाम में एक साथ इतने शवों के आने पर जब मुक्तिधाम के कर्मचारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया की यहाँ मेडिकल कॉलेज में मरने वाले अन्य संक्रमितों का भी अंतिम संस्कार किया जाता है। मुक्तिधाम के कर्मचारियों ने बताया कि उनका काम मात्र लकड़ी व अन्य साधन उपलब्ध करवाना तथा कितनी लाशें जली उसका रिकार्ड रखना होता है। इनमें से कितने कोरोना संक्रमित तथा संदिग्ध है इसकी जानकारी रखना मेडिकल कॉलेज वालों अथवा GMC चौकी वालों का काम है।
हमने जब GMC चौकी प्रभारी हेडकॉन्स्टेबल हितेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि कितनी लाशें बुधवार को मेडिकल कॉलेज से मुक्तिधाम पंहुची इसकी जानकारी डीन शशी गांधी से मिलेगी।
सुने चौकी प्रभारी ने क्या कहा ?
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अचानक मुक्तिधाम में पँहुचे इतने शवों के पीछे की सच्चाई जानने के लिये हमने जब रतलाम मेडिकल कॉलेज की डीन शशि गांधी से बात की तो उन्होंने सीधे बुधवार को अचानक 25 शवों के मुक्तिधाम पँहुचने के मामले पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया तथा सुपरिटेंडेंट जितेंद्र गुप्ता से बात करने की सलाह दी। हालांकि डॉक्टर गांधी ने कहा कि अचानक हुई इतनी अधिक मौतों का मुख्य कारण मरीज की हालात है। डॉक्टर गांधी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था में कोई कमी नहीं है ऑक्सीजन, दवाओं तथा डॉक्टरों की मात्रा पर्याप्त हैं। डीन ने यह भी बताया कि अन्य जिलों के मरीज जो यहाँ भर्ती है उनका अंतिम संस्कार भी यहीं किया जा रहा है। जिनमें कोरोना संक्रमितों के साथ संदिग्ध भी शामिल है।
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दोस्तों, हमारे रतलाम में इस बार कोरोना की वजह से हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है। हालांकि प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा के दखल के बाद वे पूरे प्रदेश में बिगड़ते हुये हालात को देखते हुये हरकत में आये प्रशासन के प्रयासों से कुछ बेहतरी होती दिख रही है। आक्सीजन की उपलब्धता को प्रियॉरिटी पर रखा गया है, आज रतलाम को 300 से अधिक रेमेडिसिवर इंजेक्शन भी मिलें हैं।
लेकिन रोग के प्रकोप व नीमच, मंदसौर, झाबुआ आदि पड़ोसी जिलों की रतलाम पर निर्भरता को देखते हुये ये प्रयास नाकाफ़ी लग रहें है। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन को और एक्टिव होने की आवश्यकता है। एक साथ इतनी लाशों का मुक्तिधाम पंहुचना, 7 दिनों से अस्पताल रहें SDOP मानसिंह चौहान की मृत्यु कोरोना के प्रबन्धन की व्यवस्थाओं की पोलखोल रहा है।
एक उच्चस्तरीय पुलिस अधिकारी को अगर रतलाम मेडिकल कॉलेज उचित मेडिकल सुविधा मुहैया नहीं करवा पा रहा है तो आमआदमी का क्या हाल होगा ? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। एक दिन में अचानक हुई 25 मौतों के पीछे का संतोषजनक कारण स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने न मीडिया को बताया न शहर की जनता को। ऐसे में गुरूवार को भी 12 मृतकों का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम में किया गया जबकि सरकारी आंकड़ों में मात्र 4 संक्रमितों के मरने की जानकारी दी गई। ऐसे में शहर की जनता यह जानना चाहती है कि अगर संक्रमितों के अलावा संदिग्धों की अगर इतनी बड़ी संख्या में मौत हो रही है तो इसका कारण क्या है ? कोरोना संदिग्धों की मौत का आंकड़ा क्या है तथा उसे क्यों जारी नहीं किया जा रहा है ?