2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के साथ ही भारत के डिजिटलीकरण को गति मिली. सरकार के सीधे रूझान, रिलायंस और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के निवेश तथा वैश्विक डिजिटल क्रांति से डिजिटल इण्डिया के निर्माण को उड़ान मिली. भारत के आईटी व डिजिटल सेक्टर इस स्मार्ट फोन और इंटरनेट क्रान्ति की वजह से तेजी से बदले, इसी की बदौलत हमने UPI, DBT आदि अनेक उपलब्धियां हासिल की लेकिन इसी के बहाव में गूगल प्ले स्टोर पर डेटिंग एप्पस की भी बाढ़ आई, जिसके विभिन्न परिणामों की चर्चा हम इस लेख में करेंगे.
मोदी सरकार का अपने पहले कार्यकाल से ही भारत को डिजिटल रूप से मजबूत और रिसोर्सफुल करने का इरादा रहा है. जिसकी परिणिति सरकार की नीतियों और UPI, DBT, UMANG, प्रमुख रेलवे स्टेशंस पर वाईफाई की सुविधा, देश की हर पंचायत को ओप्टिकल फाइबर से जोड़ने की योजनाओ के रूप में देश ने देखा. सरकार की कोशिशों के साथ ही वैश्विक परिस्थितियों, देशी टेक कम्पनियों के सकारात्मक रूझान, जिओ और PAYTM जैसी बड़ी डिजिटल कंपनियों के उभार तथा IT सेक्टर में भारतवंशियों के वैश्विक प्रभाव ने डिजिटल इण्डिया अभियान को संबल दिया, जिसकी वजह से आज भारत डिजिटल विश्व में अपना विशेष प्रभाव रखता है.
डिजिटलीकरण की वजह से जहाँ हमारी कई सुविधाएँ बढ़ी, दैनिक जीवन आसान हुआ वही इसके कई सारे दुष्परिणाम भी दिखाई दे रहें हैं, इनमे से ही एक है डेटिंग एप्प्स की बढती संख्या. यह एप्प दो बालिग व्यक्तियों को परस्पर डेटिंग की सुविधा देने का दावा करतें हैं. ये एप्स अपने उपयोग कर्ताओं की प्राइवेसी व उसके डाटा की सुरक्षा का दावा करतें हैं, यह क्लेम करतें हैं की इनकी निति सख्त है तथा ये कोई अनैतिक काम नहीं कर रहें हैं. लेकिन इसकी असलियत ठीक उलट हैं. ये एप्स प्राइवेसी व डाटा को लेकर कत्तई गंभीर नहीं है, नैतिकता की बात पर यहाँ वही वर्चुअल रूप से होता है जो आम दुनिया में मसाज पार्लर आदि के नाम पर अनैतिक रूप से होता है.
Tinder, OK Cupid आदि कुछ ऐसे डेटिंग एप्प है जो अपने यूजर व नीतियों के प्रति थोड़े मजबूत व प्रसिद्ध है. लेकिन इनके अतिरिक्त Happan, Hinow, Badoo, Bumble, Mingle2, Meetly, Kismia, OK Meet, Meet U आदि सैकड़ो ऐसे एप्प है जो इस समय Google Play Store पर फ्री उपलब्ध है Dating के नाम पर खुले आम Virtual Sexuality परोस रहें हैं. मोबाईल के सहारे किया जा रहा यह अनैतिक व्यापार भारत के कमजोर आईटी कानूनों का लाभ उठा तेजी से फ़ैल रहा है. इसप्रकार के अधिकतम एप्प एक संगठन के रूप में काम करतें हैं.
यहाँ पर होस्टेस के नाम पर रजिस्टर विभिन्न महिलाओं को एक निश्चित मुनाफा प्रति कॉल या मेहताना दिया जाता है. इन एप्स पर घरेलू महिलाएं, कोलेज या स्कूल जाने वाली युवतियां आदि रजिस्टर होती है, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है. यही कारण है की कम समय में अधिक कमाई के लालच और मज़बूरी के कारण यहाँ महिलाएं काम करने के लिए तैयार हो जाती है. इनमे से कईयों को बाद में ब्लेकमेल कर के भी यह काम करवाया जाता है. इन एप्स पर हमे नार्थ ईस्ट व देश के पिछड़े क्षेत्रों से आने वाली महिलाएं काम करती हुई दिख जायेगी, जो की चिंतनीय है. न केवल देशी बल्कि विदेशी जैसे की वियतनाम, फिलिपिन्स, वेनेजुएला, मोरेक्को, सिंगापुर आदि देशों की महिलाये भी यहाँ दिख जायेगी. मजे की बात यह है की इंटरनेट की दुनिया में में इन होस्टेसज को कैम गर्ल नाम दिया गया है, क्यूंकि यह कैमरे के माध्यम से अपना प्रदर्शन करती है. फिलिपिन्स, वियतनाम आदि की महिलाओं की इन एप्स पर उपस्थिति गंभीर विषय नहीं है लेकिन भारत में हो रहा इनका प्रसार चिंता का विषय है.
यह एप्स हमारी प्राइवेसी व राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी एक गंभीर खतरा है. अक्सर इनके द्वारा अपने यूजर्स के डाटा के दुरूपयोग, उनको ब्लेकमेल करने की कहानियां सामने आती है, जो ये कितने खतनाक हैं यह इंगित करती है. इस प्रकार के अधिकतम एप्स के सर्वर देश के बाहर विशेषकर चीन में बाताये जातें हैं, जो की अपने आप में एक बड़ा खतरा है. ये एप्प फोन में इंस्टाल होने के बाद यूजर से उसके कैमरा, माइक्रोफोन, कोंटेक्ट, SMS, लोकेशन, मिडिया, स्टोरेज, सेटिंग आदि की परमिशन लेतें हैं, जिसके माध्यम से वो अपने यूजर के पुरे फोन डाटा को अपने कब्जे में ले लेतें हैं. जिसका ये दुरूपयोग कर सकतें है. हालाँकि यह एप्प यूजर के डाटा की सुरक्षा की बात करतें हैं, लेकिन यह बिलकुल वैसा ही दावा है जैसा वो अपने प्लेटफोर्म पर Sexulity, Nudity के बैन होने का करते है. हकीकत तो ये है की इन एप्स की सारी दुकानदारी ही इन दो चीजों के सहारे चलती है.
इंटरनेट की सुलभता और इन एप्स के कारण कामुकता, नग्नता की यह गंदगी हमारे युवाओं को आसानी से उपलब्ध है और प्रभावित भी करती है, यही कारण है की इन एप्स का बाजार पीछे कुछ दिनों में तेजी से बड़ा है. यह गंदगी हमारे समाज व युवावर्ग को तेजी से प्रभावित कर रही है, जो की हमारी संस्कृति व युवाओं के भविष्य दोनों के लिहाज से सही नहीं है. अगर हमारा समाज समय रहते इन एप्स के दुष्परिणामों के प्रति सजग नहीं हुआ तो यह संस्कृति व भविष्य पर गंभीर आघात कर सकतें हैं. इन एप्स के उपर रजिस्टर करने व इनका उपयोग करना इतना आसान है की किशोरवय व स्कूल जाते बच्चे भी इनपर अपना एकाउंट आसानी से बना कर इनका उपयोग कर सकतें हैं. ऐसे में हमारे गार्जियन्स को चाहिए की वो अपने बच्चों, विशेषकर बढती उम्र के किशोरों के मोबाईल पर नजर रखें व उनको इन से दूर रखें, साथ ही हमारी सरकार भी चाहिए की वो इन एप्स का परिक्षण करवाएं तथा इनपर लगाम लगाने के लिए अपनी नीतियों को थोड़ा टाइट करें. धन्यवाद.