केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, देश में हर साल साढ़े चार करोड़ सड़क हादसे होते हैं, जिनमें करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है और साढ़े चार लाख लोग होते हैं घायल
न्यूज़ डेस्क IMN : बीते साल पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से लाखों लोगों की मौत हुई। भारत में भी करीब 1.49 लाख लोग इस वायरस के कारण मौत के मुंह में समा गए। हालांकि ये आंकड़े सड़क हादसों में होने वाली मौतों से काफी कम हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में हर साल सड़क हादसों में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का भी मानना है कि सड़क हादसे कोरोना महामारी से ज्यादा खतरनाक हैं। उनका कहना है कि देश में रोजाना ऐसे हादसों में करीब 415 लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने साल 2030 तक सड़क हादसों में मरने और घायल होने वालों की संख्या आधी करने का लक्ष्य रखा है। वहीं नितिन गडकरी का कहना है कि भारत सरकार उससे पांच साल पहले यानी 2025 तक ही इस लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में जरूरी कदम उठा रही है।
गडकरी के मुताबिक, देश में हर साल साढ़े चार करोड़ सड़क हादसे होते हैं, जिनमें करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है और साढ़े चार लाख लोग घायल हो जाते हैं। हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं की राय गडकरी से इतर है। उनका कहना है कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों की तादाद सरकारी आंकड़ों के मुकाबले काफी ज्यादा है। ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में होने वाले हादसों की अक्सर जानकारी तक नहीं मिलती, ऐसे में उनका हिसाब लगाना कठिन है। वहीं परिवहन मंत्री ने ऐसे हादसों पर रोक लगाने के लिए देश के सभी राज्यों को तमिलनाडु मॉडल अपनाने की सलाह दी है। बताते चलें कि राज्य में सड़क हादसों में 38 फीसदी और इनमें होने वाली मौतों में 54 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
पिछले साल कोरोना की वजह से देशभर में लगे लॉकडाउन के दौरान सभी तरह के सड़क परिवहन बंद होने की वजह से सड़क हादसों में भारी कमी देखी गई, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से इन हादसों में इजाफा होने लगा। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में देशभर में 4.49 लाख सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 4.51 लाख लोग घायल हुए और 1.51 लाख लोगों की मौत हुई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में रोजाना 1230 सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 414 लोगों की मौत हो जाती है।
अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आईआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल सड़क हादसों में 12.5 लाख लोगों की मौत होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनियाभर के वाहनों की कुल संख्या का महज तीन फीसदी हिस्सा भारत में है, लेकिन सड़क हादसों और इनमें होने वाली मौतों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 फीसदी है और यह यकीनन चिंता का सबब है।
इन सड़क हादसों की वजह के बारे में बात की जाए तो केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट पर गौर किया जाना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि करीब 67 फीसदी हादसे तय सीमा से तेज रफ्तार से वाहन चलाने के कारण होते हैं।
15 फीसदी हादसे अवैध लाइसेंस के साथ गाड़ी चलाने वालों के कारण होते हैं। करीब 10 फीसदी हादसे ओवरलोडेड वाहनों के कारण होते हैं और 15.5 फीसदी मामले हिट एंड रन के होते हैं। इसके साथ ही करीब 26 फीसदी हादसे लापरवाही से वाहन चलाने या ओवरटेक करने की वजह से होते हैं। अब सवाल यह उठता है कि इन सड़क हादसों को रोकने के लिए क्या किया जाए, तो सबसे जरूरी तो यह है कि देश का हर नागरिक ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करे। इसके अलावा सरकार और प्रशासन की ओर से वाहन चालकों में जागरुकता पैदा की जानी चाहिए। ज्यादा हादसे वाले स्थानों की पहचान भी जरूरी है और हाईवे आदि पर पुलिस की पेट्रोलिंग भी बढ़ाई जानी चाहिए। ऐसे ठोस कदम उठाकर ही हम सड़क हादसों को कम करने में सक्षम होंगे और लोगों की जान बचाई जा सकेगी।