लगभग दो महीनों से भारत के इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल मीडिया पर सुशान्त सिंह राजपूत की संदिग्ध आत्महत्या के मामले ने तहलका मचाया हुआ है। एक टीवी चैनल तो दिन रात सुशांत ब्रेकिंग चलाने में मशगूल है
संपादकीय / इंडियामिक्स न्यूज़ 2020 कोरोना, भारत – चीन विवाद, GDP की भारी गिरावट आदि के साथ सुशांत केस के हवाले से भी याद किया जायेगा, यह मामला तफसीश बढ़ने के साथ ही जिस तरह अपना दायरा बड़ा रहा है उससे लग रहा है की इसपर बात करनी चाहिये। अतः इस लेख में हम तफ़सील से बात करेंगे।
लगभग दो महीनों से भारत के इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल मीडिया पर सुशान्त सिंह राजपूत की संदिग्ध आत्महत्या के मामले ने तहलका मचाया हुआ है। एक टीवी चैनल तो दिन रात सुशांत ब्रेकिंग चलाने में मशगूल है, बेचारे के कुछ रिपोर्टरों को मुम्बई पुलिस ने धर भी लिया। कुछ चैनल में टॉप खबरों के सेक्शन में रिया को लेकर विशेष सेगमेंट चला रहा है। प्रिंट मीडिया इस केस में इतना व्यस्त नहीं है लेकिन वो भी इसे प्रमुखता दे रहा है। मीडिया बेचारी ऐसा करें भी क्यों ना ? एक सुपरस्टार ने आत्महत्या की है, जो अभी जवान था, उसकी सुंदर लेकिन फ्लॉप गर्लफ्रेंड जो प्राइम सस्पेक्ट है कई मामलों में विभिन्न एजेंसियों के निशाने पर है, मृतक के परिवार की पृष्ठभूमि भी मजबूत है ( चाचा विधायक जो हैं ), फैन्स का सपोर्ट है और सबसे बड़ी बात राजनीति सीधे इन्वॉल्व है। ऐसे में जहाँ TRP का सारा मसाला हो वहां भारतीय मीडिया न हो ऐसा सोचना हमारी वर्तमान टीवी मीडिया की काबिलियत पर शक करने के समान होगा।
सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध आत्महत्या की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये, जिसे भारत की एपेक्स संस्था CBI कर रही है। ड्रग आदि के मामलों में एपेक्स संस्था NCB अपना काम कर रही है तथा वित्तीय अनियमितताओं के मामले में ED की जांच जारी है। लगातार जो खुलासे और गिरफ्तारियां इस मामले में हमें देखने को मिल रही है और जिस तरह से जांच को लेकर मुम्बई पुलिस की शिथिलता के बाद बिहार पुलिस आने तथा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर CBI जांच शुरू होने तक का घटनाक्रम घटा है वह भी बड़ा रोचक रहा है। CBI जांच आने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक शिवसेना के आक्रामक व विचलित होने तथा फ़िल्म इंडस्ट्री के कई रहस्य खुलने से यह घटना अब मात्र सुशांत की संदिग्ध आत्महत्या का मामला नहीं रह कर सदी का सबसे बड़ा व चर्चित मामला बनने की राह पर है।
सुशांत की हत्या के बाद जिस प्रकार मीडिया ने इस मामले में जनता की नब्ज को पहचानते हुये सक्रियता दिखाई उससे मुम्बई पुलिस की शिथिल व लीपापोती वाली कार्यशैली उजागर हुई, सुशांत के फैन्स व फ़िल्म इंडस्ट्री तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के गणमान्य लोगों के CBI की मांग की। सुशांत के पिता की बिहार पुलिस के समक्ष दर्ज की गई FIR के बाद बिहार व मुम्बई पुलिस के मध्य हुई तानातानी के फलस्वरूप न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद CBI की जांच शुरू हुई। इस मामले में भारत की जनता व मीडिया जिसप्रकार एक साथ खड़ी हुई उसी तरह अगर भारत की बेहतरी के मुद्दों पर एक साथ खड़े रहें तो देश में सुखद बदलाव अवश्य होगा।
सुशांत के मामले में मुम्बई पुलिस द्वारा शिथिल जांच ने यह शुरूआत में ही उजागर कर दिया की इस मामले को कोई बड़ा नेक्सस जुड़ा है जिससे सत्ता भी कही न कही जुड़ी है व बॉलीवुड के बड़े नामों पर आंच आ सकती है। शिवसेना के रूख से नाराज मोदी की भाजपा ने इस बात को समझते हुये बिहार में सुशान्त के पिता की FIR पर तड़बतोड़ कार्यवाही करते हुये बिहार पुलिस को फुल फॉर्म में एक्टिव किया, शिवसेनानित महाराष्ट्र सरकार व मुख्य अभियुक्त रिया चक्रवर्ती ने बिहार पुलिस के अधिकार को लेकर न्यायालय की शरण ली, इसी बीच सुशासन बाबू ने CBI की सिफारिश कर दी, जिसे लपकते हुये मोदी सरकार ने तुरन्त मंजूरी दे दी। मामले की हाईक व संवेदनशीलता को देखते हुये न्यायालय भी केंद्र सरकार के साथ गया। जिसके बाद मुम्बई पुलिस की जो फजीहत हुई वो होनी भी चाहिये थी।
सुशांत मामले में जो बॉलीवुड में नशे व भाई-भतीजावाद की पोलपट्टी खुली है वह कई राज उजागर करने की कड़ी बनेगी, शायद यही वो वजह थी जिसकी वजह से मुम्बई पुलिस इस गंभीर मामले पर लिपापोती करने की ओर अग्रसर थी। ड्रग्स को लेकर जो रिया उनके भाई तथा सुशांत के सहायकों का रोल अभी तक कि जांच से सामने आया है वो यह इशारा करता है कि सुशान्त की आत्महत्या का मामला बॉलीवुड के बड़े ड्रग्स रैकेट से जुड़ा है। एक अंग्रेजी टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य अभियुक्त रिया चक्रवर्ती ने बॉलीवुड की कई नामचीन हस्तियों के नाम लिये हैं, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि नशे के कारोबार की बॉलीवुड में कितनी गहरी पैठ है।
नशा जो गांजे ( भांग ) की सिगरेट से लेकर कई प्रकार का है, मेट्रों व टायर -1 तथा टायर -2 के शहरों में एक बड़े युवा वर्ग को अपनी जद में ले चुका हैं। कला से जुड़े किसी भी क्षेत्र में नशे को क्रिएटिविटी से जोड़ के एक विशेष महत्व दिया जाता है, जिसकी वजह से वर्तमान में कला की राजधानी बॉलीवुड में नशे का बोलबाला है। जिसके बारे में हो हल्ला करण जौहर की एक कथित पार्टी में सितारों को नशे में झूमते दिखाती एक वीडियो क्लिप के वायरल होने पर मचा था, लेकिन सुशान्त के मामले में नशे के एंगल पर जो बहस छिड़ी है वो काबिले गौर है। इस बहस पर अगर भारत डटा रहा तो नशे की दुनिया पर एक बड़ा प्रहार कर सकता है। बॉलीवुड व नशे का रिश्ता काफी पुराना रहा है, लेकिन अब NCB चाहे तो इसकी कब्र खोद सकती है। रिया व उनके अन्य साथियों के विरुद्ध अगर NCB कोई बड़ी कार्यवाही करने में सफल हो जाती है तो बॉलीवुड में नशे की दुनिया में खलबली मचेगी कई बड़े सितारों व रसूखदार राजनेताओं के चेहरे बेनकाब होंगे। इसलिये यह कहा जा सकता है सुशान्त मामले में ड्रग एंगल बॉलीबुड की कलई खोलने वाला है। रिया व उसके भाई का यह कहना कि सुशान्त भी ड्रग्स लेते थें तथा एक बड़े हिंदी चैनल पर उनके आपत्तिजनक अवस्था में वीडियो जारी होने के बाद यह कहा जा सकता है कि ड्रग्स से सुशान्त की संदिग्ध आत्महत्या के तार अंत में कहीं न कहीं जुड़ते दिखेंगे।
सुशान्त मामले में जिस तरह से नेपोटिज्म को लेकर देश में बहस हुई उसने भी बॉलीवुड को झकझोरा जिससे भविष्य में हमें थोड़ा लाभ अवश्य मिलेगा, लेकिन इस पूरे मामले में ड्रग्स के बाद दूसरा अगर कोई विषय चर्चित रहा वो है कंगना व शिवसेना की परोक्ष तानातानी। मशहूर अभिनेत्री कंगना राणावत इस मामले में जिस प्रकार शुरू से मुखर रही उस प्रकार उनका सरकार की रडार पर आना तय था और वही हुआ, कंगना और सरकार की तानातानी के फलस्वरूप BMC ने उनके कार्यालय को गिराया और केंद्र ने उन्हें Y श्रेणी की सुरक्षा दी। इस तानातानी में जहाँ शिवसेना की किरकिरी हो रही है वही कंगना का कद बढ़ रहा है। NCP सुप्रीमो शरद पंवार सरकार को ऐसे मामलों से दूर रहने की सलाह दे रहें है वही भाजपा व राष्ट्रवादी धड़े ने कंगना को लक्ष्मीबाई का खिताब दे दिया है। महाराष्ट्र सरकार से मीडिया का कुछ हिस्सा भी नाराज है वो कंगना के सपोर्ट में खुल के उतरा हुआ है, ऐसे में सरकार की छवि को तेजी से नुकसान हो रहा है और कंगना की प्रसिद्धि बढ़ती जा रही है।
कुछ राष्ट्रवादी लेखक विचारक तथा करनी सेना जो कंगना के महिमा मंडन में लगे है उनको अभी थोड़ा रुकना चाहिये। कंगना के चरित्र रहस्यमय रहा है। यह वो अभिनेत्री हैं हो एक समय पद्मावत फ़िल्म का विरोध कर रहे वर्ग की मुखर विरोधी थी, इन्होंने बीफ के समर्थन में भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इनकी विचारधारा स्थिर नहीं रही है, अतः इसप्रकार इनका मीडिया के बहकावे में आकर राष्ट्रवादियों द्वारा इनका समर्थन करना जल्दीबाजी ही कही जा सकती हैं। यह अभिनेत्री इतनी जल्दी विश्वास करने योग्य नहीं है, अक्सर यह समय की धारा के साथ बहती हुई देखी जाती है। हालांकि कंगना की मुखरता बॉलीवुड को बड़ा नुकसान करेगी जो जायज है लेकिन इसके फलस्वरूप इनका भी बड़ा नुकसान होगा। ऐसे में इनका भाजपा के पास जाना कोई आश्चर्यजनक नहीं है, समाजिक जीवन में हर व्यक्ति अपने हितों को पहले पायदान पर रखता है।
अंत में मैं अपने पाठकों से कहना चाहूंगा कि आप सुशान्त की संदिग्ध आत्महत्या के मामले पर मीडिया द्वारा बनाये गये भौकाल से बाहर निकले, इस मामले की तफ़शिस से देश की तीन प्रमुख एपेक्स एजेंसियां जुड़ी हैं, अतः सच तो सामने आयेगा ही। इस विषय के अलावा कोरोना, बेरोजगारी, ढलती अर्थव्यवस्था, समान नागरिक संहिता आदि अन्य कई विषय है जिनपर चर्चा नहीं हो रही है। यह तभी होगी जब आप जागरूक रहेंगे। यह मामला बॉलीवुड की कई स्याह परते खोलेगा इसमें कोई शक नहीं है। जहां तक सुशान्त की कथित आत्महत्या का सवाल है प्रथमदृष्टया वो अभी तक आत्महत्या ही लग रही है लेकिन इसके पीछे ड्रग्स स्केण्डल का बड़ा हाथ समाने आयेगा यह तय है। जहां तक कंगना के प्रश्न है मैं इन्हें अवसरवादी महिला मानता हूं, यह अपने वर्तमान रूख पर कहा तक टिकेंगी इसके लिये इनका आगे का सफर देखना होगा जो बेशक मुश्किल होने वाला है।