पंजीयन कराने वाले व्यक्ति को टी-शर्ट, टोपी और प्रमाण पत्र दिया जाएगा । इस लिंक के माध्यम से बहुत से युवा अपना पंजीयन भी करा चुके हैं।
संपादकीय / इंडियामिक्स : हाल ही में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने करोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखकर प्रदेश के लोगों और युवाओं से कोरोना वॉलिंटियर बनने का आह्वान किया है। इसके लिए एक लिंक जारी की है जिसके माध्यम से पंजीयन करवा कर कोई भी व्यक्ति करोना वॉलिंटियर बन सकता है। पंजीयन कराने वाले व्यक्ति को टी-शर्ट, टोपी और प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस लिंक के माध्यम से बहुत से युवा अपना पंजीयन भी करा चुके हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह आदेश दिया है कि अब एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को भी करोना मरीजों के इलाज में सहायता देनी होगी। दोनों ही फैसले युवाओं के लिए बेहद जोखिम भरे हैं। सनद रहे कि पिछले साल की तुलना में कोविड का वायरस इस बार बेहद शक्तिशाली है।
जिसका प्रभाव बच्चों और युवाओं पर भी दिखाई दे रहा है। महाराष्ट्र राज्य की बात करें तो 1 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच कोरोना से मरने वालों की संख्या पूरे मार्च के दौरान हुई मौतों के मुकाबले 55 फ़ीसदी अधिक है। खास बात यह है कि इनमें से 10 फ़ीसदी तो सिर्फ युवा है। विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस स्थिति पर जल्द से जल्द नियंत्रण नहीं किया तो जनसंख्या का 10 फ़ीसदी हिस्सा करोना की भेंट चढ़ चुका होगा। जिसमें युवाओं की संख्या सबसे अधिक होगी। ऐसा ही रहा तो देश बीमार के साथ-साथ जल्द बूढ़ा हो जाएगा।
मध्य प्रदेश की बात करें तो वॉलिंटियर बनाने के आदेश के पहले मुख्यमंत्री ने युवाओं के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई। देश में अभी केवल 45 और उससे अधिक उम्र के लोगों का ही वैक्सीनेशन हुआ है। ऐसे में इन नौजवानों का वॉलिंटियर बनना मौत को गले लगाने जैसा है। क्या इन नौजवानों का वैक्सीनेशन किया जाना जरूरी नहीं है ? क्या टोपी, टी-शर्ट ,प्रमाणपत्र कोरोना से लड़ने के हथियार है? दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री ने इन नौजवानों को जंग में उतारने से पहले क्या उनका स्वास्थ्य बीमा कराया है? क्या वे भूल गए हैं कि युद्ध में सैनिक को भी बिना हथियारों के नहीं भेजा जाता फिर तो फिर करोना जैसी जंग लड़ने की यह कैसी तैयारी है….?