महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि- महाशिवरात्रि पर्व पर राशि अनुसार करे पूजा व मंत्र जाप करे
धर्म डेस्क IMN : महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि- महाशिवरात्रि पर्व पर राशि अनुसार करे पूजा व मंत्र जाप करे
मेष राशि :- शिव जी की पूजा के बाद “ॐ ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं” इस मंत्र का 108 बार जप करें। शहद, गु़ड़, गन्ने का रस, लाल पुष्प शिव जी के लिए चढ़ाएं।
वृष राशि :- इस राशि के व्यक्ति मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें और कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प शिव जी को चढ़ाएं।
मिथुन राशि :- महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय’ मंत्र का यथासंभव जप करें। हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र शिव जी को चढाएं।
कर्क राशि :- शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए ‘ॐ हौं जूं सः’ मंत्र का जितना संभव हो जप करें और शिवलिंग पर कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बेलपत्र आदि चढाएं।
सिंह राशि :- ‘ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनम, उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्.’ यह मंत्र का कम से कम 51 बार जप करें, इसके साथ ही शिवलिंग पर शहद, गु़ड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प आदि चढाएं।
कन्या राशि :- ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय’ मंत्र का यथासंभव जप करें। हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प शिव जी को चढाएं।
तुला राशि :- शिव पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार जप करें और दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री शिव जी को चढ़ाए।
वृश्चिक राशि :- ‘ॐ नमः भवाय’ मंत्र का जप करें और शहद, शुद्ध घी, गु़ड़, बेलपत्र, लाल पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करें।
धनु राशि :- इस राशि वाले ‘ॐ तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्रः प्रचोदयात।।’ इस मंत्र से शिव जी की पूजा करें, धनु राशि वाले मंत्र जाप के अलावा शिवलिंग पर शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल चढ़ाएं।
मकर राशि :- त्रयम्बकेश्वर जी का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमः त्र्यम्बकाय’ मंत्र का 5 माला जप करें, इसके अलावा भगवान शिव जी का सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प से अभिषेक करें।
कुंभ राशि :- कुंभ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं इसलिए इस राशि के व्यक्ति भी मकर राशि की तरह ‘ॐ नमः शर्वाय’ का जप करें, जप के समय केदारनाथ जी का ध्यान करें, कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प शिव जी के लिए चढाएं।
मीन राशि :- ॐ तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्र प्रचोदयात।। इस मंत्र का जितना अधिक हो सके जप करें, गन्ने का रस, शहद, बादाम, बेलपत्र, पीले पुष्प, पीले फल शिव जी के लिए चढाएं।
महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि-
लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशिथ काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है
महाशिवरात्रि पर विधि विधान के साथ शिव पूजन करने वाले श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। लेकिन इस दिन भगवान शिव की पूजा चारो प्रहर में करने से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होने के बाद अंत में भगवान शिव की चरणो में स्थान प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि पर किसी भी समय भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। लेकिन इस दिन भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा को अधिक महत्व दिया गया है। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि का हर क्षण शिव कृपा से भरा हुआ होता है। लेकिन इस दिन मध्य रात्रि में की गई पूजा विशेष लाभ देती है।
वहीं इस दिन चार प्रहर की पूजा को भी अत्यधिक विशेष माना जाता है। यह चार प्रहर संध्या काल से शुरू होकर दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में जाकर समाप्त होते हैं। महाशिवरात्रि की इस पूजा में रात्रि का संपूर्ण उपयोग किया जाता है। जिससे भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त हो सके। भगवान शिव की चारो प्रहर की पूजा मुख्यत: जीवन के चारो अंगों को नियंत्रित करती है। यह जीवन के चार अंग हैं धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष। जो भगवान शिव की पूजा से साधे जा सकते हैं। महाशिवरात्रि के दिन हर प्रहर की पूजा का एक विशेष विधान होता है। जिसका पालन करने से आप विशेष लाभ की प्राप्ति कर सकते हैं।
पहले प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि के पहले पहर की पूजा शाम के समय में की जाती है। यह पूजा प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद की जाती है। यह समय शाम 6 बजे बाद से रात 9बजकर 46 मिनट के बीच होती है। महाशिवरात्रि पर इस प्रहर की पूजा से ही सभी प्रकार के दोषों का नाश हो जाता है और आपको इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है, यदि आप पहले प्रहर की पूजा करते हैं तो आपका धर्म मजबूत होता है।
दूसरे प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि पर दूसरे प्रहर की पूजा रात में की जाती है। यह पूजा रात 9 बजकर 47 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट के बीच में की जाती है। इस पूजा में भगवान शिव को दही अर्पित किया जाता है। इसके बाद भगवान शिव का फिर से अभिषेक किया जाता है। इस प्रहर की पूजा में भगवान शिव के मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। दूसरे प्रहर की पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
तीसरे प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि पर तीसरे प्रहर की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है। इस पूजा को करने का समय रात्रि 12 बजकर 48 मिनट से सुबह 3 बजे तक का होता है। इस प्रहर में भगवान शिव की स्तुति करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस पूजा से हर प्रकार की मनोकामना की पूर्ति होती है।
चौथे प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि की चौथे प्रहर की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है। यह पूजा सुबह के 3 बजे से सूर्योदय तक की जाती है। इस पूजा से सभी प्रकार के पातक नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हर हर महादेव
आपको और आपके पुरे परिवार को महाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं।