इसी बीच पायलट के पुराने सहयोगी और मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सचिन के साथ हो रही ज्यादती पर मुख्यमंत्री गेहलोत को जिम्मेदार माना है।
जयपुर : इंडियामिक्स न्यूज़ मुख्यमंत्री सरकार के भविष्य के बिंदु पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वास्तव में ही सरकार के भविष्य पर प्रश्न चिंह लगा लिया है तीन निर्दलीय विधायकों को बाहर करके शेष निर्दलीयों के मन में संशय का बीज बो दिया है विधायक , सांसद , व केन्द्रीय मंत्री बनाने का नाम लेकर प्रदेश कांग्रेस पर भी सवाल खडा कर दिया जब समर्थन करने वाले विधायक और प्रदेश संगठन का मुखिया ही कठघरे में खडा है तो इन हालत में सरकार का भविष्य वास्तव में विचारणीय प्रश्न है।
इसी बीच पायलट के पुराने सहयोगी और मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सचिन के साथ हो रही ज्यादती पर मुख्यमंत्री गेहलोत को जिम्मेदार माना है। सिंधिया ने ट्वीट कर कहा की राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा युवा प्रतिभा को दरकिनार कर सचिन पायलट को परेशान कर रहे है कांग्रेस में अब प्रतिभाओ का यही हाल होता है।
मुख्यमंत्री ने पूरी दंबगता से विपक्ष के साथ साथ और प्रदेश संगठन को ललकारा है , बसपा से आये 6 विधायक भी अभी तक सिर्फ आशवासनों से पेट भर रहे हैं अब उनका भविष्य भी सुरक्षित नहीं है केवल 100 विधायकों के कांग्रेस संसदीय दल में यदि प्रदेश का मुखिया ही सकंट का जनक हो तो कोई भी सकंट मोचक बन के फेर में पडने के बाद सरकार को बचा नहीं पायेगा मुख्यमंत्री ने अत्यंत दुस्साहसिक कदम उठाया है यह राई का पहाड़ अब आर पार की लडाई बन गया है ।
सचिन पायलट ने जिस मजबूती से हुंकार भरी है उससे लगता है कि अबकी बार ना तो S O G और ना A C B का सहारा काम देगा और ना ही आलाकमान कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा ।
इस आर पार की लडाई में या सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के दो पदों में से कोई एक पद खो कर नतमस्तक होगा या जादूगरी के भंवर में फंस कर पद व सत्ता से दूर होगा , यदि जादूगर का दांव उल्टा पड गया और सचिन पायलट ने जैसी हुंकार भरी है वैसी लडाई लड ली तो राजस्थान की राजनीति में अल्प आधार वाली जाति के मुख्यमंत्री बनाने की नीति का पटाक्षेप हो जायेगा और मुख्यमंत्री को अपने पद से हाथ धोना पडेगा ।
यह लडाई ना तो कांग्रेस , भाजपा की है और ना ही यह लडाई S O G या A C B की है वास्तविक लडाई तो गहलोत बनाम पाइलेट की है जिसमें दोनों योद्धा रणभूमि में आमने सामने अपनी अपनी सेनायें लेकर डट गये हैं लडाई सिर्फ गूजर मुख्यमंत्री बनाने की नहीं है बल्कि जाट , मीणा , राजपूत , दलित व O B C जातियों की सामूहिक लडाई है जिसका परीणाम निश्चित रूप से राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ दिलायेगा ।